पशुओं को ठंडक एवं सर्द हवाओं से बचाए
*पशुओं को ठंडक एवं सर्द हवाओं से बचायें*
सहजनवा गोरखपुर बांसगांव संदेश ।आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार गोरखपुर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ एस.के.सिंह ने बताया कि पशुओं से पूर्ण उत्पादन प्राप्त करने के लिए सर्दियों में पशुओं को ठंड से बचाना अत्यंत आवश्यक है यदि पशु को ठंडक , कोहरा एवं पाला से बचाव का समुचित प्रबंधन नहीं किया जाए तो पशु बीमार पड़ जाते हैं।
जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में तो गिरावट होता ही है साथ ही साथ पशु सर्दी , बुखार , दस्त, न्यूमोनिया जैसे रोगों से प्रभावित होकर मृत्यु को भी प्राप्त कर सकता है। पशुपालको को चाहिए कि वह अपने पशुओं का सर्दी के मौसम में विशेष ध्यान रखें। उन्हें सर्दी से बचाने के लिए पशुशाला के दरवाजे खिड़कियां व अन्य खुले स्थान पर रात के समय बोरी, तिरपाल या टाट को टांगना चाहिए जिससे पशुओं की सीधी ठंडी हवा से बचाया जा सके।रात के समय पशुशाला के फर्श पर पराली या भूसा को बिछाए जिससे फर्श से सीधी ठंडक पशुओं को ना लगे।पशुशाला का फर्श ढलान युक्त होना चाहिए जिससे पशुओं का मूत्र बाहर निकल जाए ताकि बिछावन सूखा बना रहे।पशुओं को ताजा व स्वच्छ पानी ही पिलाएं जो अधिक ठंडा ना हो। नवजात बच्चों व बीमार पशुओं को रात के समय किसी बोरिया तिरपाल से ढक दें तथा सुबह धूप निकलने पर हटा दें। पशुओं को हरे चारे विशेषकर बरसीम के साथ भूसा मिलाकर खिलाएं तथा रात के समय सूखा चारा आहार के रूप में खिलाएं इससे पशुओं का तापक्रम नियंत्रित रहता है।पशुओं को उनकी आवश्यकता अनुसार संतुलित आहार खिलाना चाहिए तथा साथ में 50 ग्राम खनिज मिश्रण अवश्य देना चाहिए। पशुशाला की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए गोबर व अन्य ठोस पदार्थ पशुशाला से दिन में कम से कम दो से तीन बार हटाने चाहिए तथा सप्ताह में एक बार फिनायल के 5% के घोल से पशु आवास की सफाई करना चाहिए। पशुशाला मे जल निकास की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।ठंड के समय दिन में पशुओं को धूप में बांधना चाहिए परंतु ठंडी हवा से बचाव रखना चाहिए यदि संभव हो तो अलाव की व्यवस्था भी की जाए परंतु यह ध्यान रखें कि आग लगने की संभावना ना हो तथा पशुशाला में रात के समय आग जलाकर न छोड़ें अन्यथा पशुओं का दम घुटने का डर रहता है।समय-समय पर संबंधित पशुचिकित्सक एवं के.वी.के. के पशुपालन वैज्ञानिक से सलाह लेकर पशुओं को टीकाकरण तथा वाह्य एवम्अंतःपरजीवीनाशक औषधि का प्रयोग भी करते रहना चाहिए। इन बातों का ध्यान रख कर पशुपालक भाई अपने पशुओं को ठंडक से बचाव के साथ-साथ अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। डॉ एस.के.सिंह (पशुपालन वैज्ञानिक) मो.नं.:9839994240 के.वी.के., बेलीपार, गोरखपुर
जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में तो गिरावट होता ही है साथ ही साथ पशु सर्दी , बुखार , दस्त, न्यूमोनिया जैसे रोगों से प्रभावित होकर मृत्यु को भी प्राप्त कर सकता है। पशुपालको को चाहिए कि वह अपने पशुओं का सर्दी के मौसम में विशेष ध्यान रखें। उन्हें सर्दी से बचाने के लिए पशुशाला के दरवाजे खिड़कियां व अन्य खुले स्थान पर रात के समय बोरी, तिरपाल या टाट को टांगना चाहिए जिससे पशुओं की सीधी ठंडी हवा से बचाया जा सके।रात के समय पशुशाला के फर्श पर पराली या भूसा को बिछाए जिससे फर्श से सीधी ठंडक पशुओं को ना लगे।पशुशाला का फर्श ढलान युक्त होना चाहिए जिससे पशुओं का मूत्र बाहर निकल जाए ताकि बिछावन सूखा बना रहे।पशुओं को ताजा व स्वच्छ पानी ही पिलाएं जो अधिक ठंडा ना हो। नवजात बच्चों व बीमार पशुओं को रात के समय किसी बोरिया तिरपाल से ढक दें तथा सुबह धूप निकलने पर हटा दें। पशुओं को हरे चारे विशेषकर बरसीम के साथ भूसा मिलाकर खिलाएं तथा रात के समय सूखा चारा आहार के रूप में खिलाएं इससे पशुओं का तापक्रम नियंत्रित रहता है।पशुओं को उनकी आवश्यकता अनुसार संतुलित आहार खिलाना चाहिए तथा साथ में 50 ग्राम खनिज मिश्रण अवश्य देना चाहिए। पशुशाला की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए गोबर व अन्य ठोस पदार्थ पशुशाला से दिन में कम से कम दो से तीन बार हटाने चाहिए तथा सप्ताह में एक बार फिनायल के 5% के घोल से पशु आवास की सफाई करना चाहिए। पशुशाला मे जल निकास की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।ठंड के समय दिन में पशुओं को धूप में बांधना चाहिए परंतु ठंडी हवा से बचाव रखना चाहिए यदि संभव हो तो अलाव की व्यवस्था भी की जाए परंतु यह ध्यान रखें कि आग लगने की संभावना ना हो तथा पशुशाला में रात के समय आग जलाकर न छोड़ें अन्यथा पशुओं का दम घुटने का डर रहता है।समय-समय पर संबंधित पशुचिकित्सक एवं के.वी.के. के पशुपालन वैज्ञानिक से सलाह लेकर पशुओं को टीकाकरण तथा वाह्य एवम्अंतःपरजीवीनाशक औषधि का प्रयोग भी करते रहना चाहिए। इन बातों का ध्यान रख कर पशुपालक भाई अपने पशुओं को ठंडक से बचाव के साथ-साथ अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। डॉ एस.के.सिंह (पशुपालन वैज्ञानिक) मो.नं.:9839994240 के.वी.के., बेलीपार, गोरखपुर
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