भगवान से साक्षात्कार के लिए प्रह्लाद जैसी भक्ती जरूरी- आचार्य दीपक त्रिपाठी
इस कलिकाल में भी भगवान से साक्षात्कार किया जा सकता है अगर भक्त प्रह्लाद जैसी भक्ति हो।
उक्त बातें बडहलगंज के बसावनपुर गांव निवासी धर्मेंद्र मिश्र के कैलाशपुरी निवास स्थान पर में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के चौथे दिन कथा का रसपान कराते हुए कथावाचक आचार्य दीपक त्रिपाठी ने कही ।
भक्त प्रह्लाद की कथा कहते हुए आगे उन्होंने कहा कि
हिरण्यकस्यप के वहां पैदा हुए भक्त प्रह्लाद बाल्यकाल से भगवान की भक्ति में लीन रहने लगे,पिता के बार बार मना करने के बाद भी जब भक्त प्रह्लाद अपनी भगवत भक्ति से विमुख नही हुए तो हिरण्यकस्यप अपने को सर्वशक्तिमान होने के अहंकार में चूर हो कर अपने पुत्र प्रह्लाद पर ही अत्याचार करने लगा, उनकी जान लेने के लिए अपनी बहन होलिका का प्रयास भी जब सफल नही हुआ तो और अत्याचार करने लगा।
अंतत: हिरण्यकस्यप के अत्याचार से मुक्ति के लिए भगवान ने नरसिंह अवतार लेकर उसका बध कर भक्त प्रह्लाद को मोक्ष प्रदान किया।
कथा का प्रारंभ चाणक्य विचार संस्थान के अध्यक्ष आचार्य वेद प्रकाश त्रिपाठी तथा यजमान श्रीमती भानमती मिश्र ने व्यासपीठ पर माल्यार्पण कर किया,तथा कथा के अंत में
श्रीभागवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती,
संगीतमयी भजन के साथ व्यासपीठ की आरती उतारी गई।
इस दौरान पंडित राम रक्षा शुक्ल,पंडित पवन कुमार ओझा,आशुतोष मिश्र, आदित्य मिश्र,बशिष्ट पाण्डेय, उपेन्द्र मिश्र,श्रीमती संगीता मिश्र,हिमांशु मिश्र, श्रीमती अंशु मिश्र,प्रिया मिश्र,कौशल किशोर मणि त्रिपाठी,राकेश राय,लीलावती, सरिता,आदि बड़ी संख्या में महिलायें उपस्थित रही ।
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