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    मोक्ष का द्वार है मानव शरीर -आचार्य कृपाशंकर

    मोक्ष का द्वार है,मानव शरीर- आचार्य कृपा शंकर जी सहजनवा गोरखपुर बांसगांव संदेश ।मानव शरीर केवल शरीर ही नहीं बल्कि मोक्ष का द्वार है । क्योंकि इस शरीर से कर्म करके मनुष्य भगवत धाम(मोक्ष) को प्राप्त कर लेता हैं । उक्त- बातें अयोध्या धाम से पधारे पंडित आचार्य कृपाशंकर शास्त्री ने कही। 


    वह विकास खंड पाली के ग्राम सजनापार में चल रहे श्रीराम मानस महायज्ञ के पांचवें दिन व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को कथा रसपान करा रहे थे। उन्होंने कहा कि मानव शरीर से ही व्यक्ति कर्म करने में समर्थ है । अच्छे व परोपकार युक्त कर्म करके मनुष्य जन्म-मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए छूट जाता है। देवता भी इस शरीर पाने को पाने की कल्पना करते हैं। कथा व्यास ने कहा कि- पशु-पक्षियों का शरीर पाकर प्राणी कोई अच्छा कर्म नहीं कर सकता है। भगवान की महामाया के वशीभूत होकर वह अपने प्रारब्ध को भोगने पर विवश रहता है । समय रहते यदि आध्यात्मिक उन्नति की चेतना नहीं आती है, तो फिर उसे पीछे पक्षताना ही पड़ता है। मनुष्य को आखिरी चेतना मृत्यु के समय आती है,तब वह चाह कुछ कुछ नहीं कर सकता है। इस लिए समय रहते चेत लेने में बुद्धिमानी है । उक्त अवसर पर मुख्य यजमान पूर्व प्रधान वीरेंद्र यादव,पुर्व अध्यापक शर्मा जीत चौधरी, हीरालाल चौरसिया,दल श्रृंगार यादव के अलावा -राम चैन,बेचन विश्वकर्मा, पंकज, सुरेन्द्र, राजेन्द्र,राम तौल,राम बेलास चौधरी, शिवम सिंह,श्याम बरन सिंह,सुदामा चौधरी,भगवती यादव समेत कई लोग मौजूद थे।

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