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    रमज़ान की रहमतों से फैज़याब हो रहे रोजेदार

    रमज़ान की रहमतों से फैज़याब हो रहे रोजेदार



    गोरखपुर। रमज़ान शरीफ का चौथा रोजा भी रजा-ए-इलाही में बीता। लोगों ने जमकर इबादत की। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हो रही है। नफ्ल नमाज सलातुल तस्बीह, चाश्त, तहज्जुद, इशराक, सलातुल अव्वाबीन आदि पढ़ी जा रही है। नबी व आले नबी पर दरूदो-सलाम का नज़राना पेश किया जा रहा है। सुबह सहरी के लिए मस्जिद से रोजेदारों को जगाने के लिए आवाज दी जा रही है। इफ्तार के समय मस्जिद से रोजा खोलने का डंका बज रहा है। मस्जिद की सफें नौजवानों, बुजुर्गों व बच्चों से भरी नज़र आ रही हैं। घरों में महिलाएं इबादत के साथ किचन व बाजार से खरीदारी की जिम्मेदारियां उठा रही हैं। हर तरफ रमजान का फैजान है। रसूलपुर जामा मस्जिद मेें एक महीने का सामूहिक एतिकाफ जारी है। शहर की दस मस्जिदों में रमज़ान के विशेष दर्स के दौरान दीनी बातें सीखी व सिखाई जा रही है। मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर में तरावीह नमाज पढ़ा रहे हाफिज गुलाम जीलानी ने बताया कि माह-ए-रमज़ान में सदका-ए-फित्र निकाला जाता है। जो गरीबों, यतीमों व बेसहारा मुसलमानों को दिया जाता है। इसको निकालने में जल्दी करें ताकि गरीब भी खुशियों में शामिल हो सकें। जितनी जल्दी आप सदका-ए-फित्र निकालेंगे उतना जल्दी ही वह गरीबों के लिए फायदामंद होगा।

    इत्र से महक रही रमजान की सुबह-शाम

    शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह के इमाम हाफिज आफताब आलम ने बताया कि पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को चार चीजें बेहद महबूब थीं। जिसे वह कभी तर्क नहीं करतें थे। एक सूरमा लगाना, दूसरा इत्र लगाना, तीसरा अमामा शरीफ पहनना, चौथा मिस्वाक करना। रमजान में रोजेदार इन प्यारी सुन्नतों का खास ख्याल रखते है। इन प्यारी सुन्नतों से रोजदारों को रूह को सुकून व इबादत में ताजगी मिलती है। इनका इस्तेमाल करने वालों के लिए अल्लाह के फरिश्ते दुआ करते हैं। हदीस में आया है कि पैग़ंबरे इस्लाम मुश्क सरे अकदस के मुकद्दस बालों और दाढ़ी मुबारक में लगाते थे। हदीस में यह भी आया है कि पैगंबरे इस्लाम खुशबू का तोहफा रद्द नहीं फरमाते थे। पैगंबरे इस्लाम ने फरमाया तीन चीजें कभी नहीं लौटानी चाहिए तकिया, खुशबूदार तेल और दूध।
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    सेहत को नुकसान पहुंचने का खतरा हो तो रोज़ा छोड़ सकती है गर्भवती महिला : उलमा किराम

    गोरखपुर। तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्प लाइन नंबरों पर सोमवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। 

    1. सवाल : हामिला (गर्भवती) महिला के लिए रोज़े का क्या हुक्म है? (शाहीना, बड़गो)
    जवाब : अगर हामिला (गर्भवती) महिला को रोज़ा रखने की वजह से खुद की या बच्चे की सेहत को नुकसान पहुंचने का खतरा हो तो रोज़ा छोड़ने की इजाज़त है। हां बाद में इनकी क़ज़ा करना ज़रूरी है। (मुफ्ती अख़्तर हुसैन)

    2. सवाल : रोज़े की हालत में भाप (स्टीम) लेना कैसा? (अली, तुर्कमानपुर)
    जवाब : रोज़े की हालत में भाप लेना जायज नहीं। इससे रोजा टूट जाएगा। (मुफ्ती अजहर शम्सी)

    3. सवाल : रोज़े की हालत में माउथवॉश से कुल्ली कर सकते हैं? (हेरा, लखनऊ)
    जवाब : नहीं रोज़े की हालत में माउथवॉश से कुल्ली करना मना है। (कारी अनस रज़वी)

    4. सवाल : अगर कोई शख्स रोज़े की हालत में बेहोश हो गया तो उसका रोज़ा हुआ कि नहीं? (तारिक, नखास)
    जवाब : अगर बेहोश हुआ और रात ही में होश आ गया तो उस दिन का रोज़ा हो गया और अगर एक से ज्यादा दिन बेहोश रहा तो पहले दिन का रोज़ा हो गया बकिया रोज़ों की कजा करे। (मुफ्ती मेराज अहमद)
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    सात साल की हबीबा व अरहम ने रखा पहला रोजा
    गोरखपुर। जमुनहिया बाग गोरखनाथ निवासी आमिर महमूद व नूर सबा की सात वर्षीय पुत्री हबीबा खान ने पहला रोजा रखकर इबादत की। दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली हबीबा ने सुबह परिवार के साथ सहरी खाई। दिन भर इबादत की। तेज धूप हबीबा की हिम्मत के आगे पस्त नजर आई। इनके अंकल आसिफ महमूद ने हौसला बढ़ाया। शाम में जब इफ्तार का वक्त हुआ तो हबीबा ने परिवार के साथ रोजा खोला। हबीबा को खूब सारे तोहफे व दुआ मिली। जिससे दिनभर की भूख प्यास खुशी में बदल गई। वहीं सूरजकुण्ड के रहने वाले परवेज खान व जरीना के आठ वर्षीय पुत्र अरहम खान ने पहला रोजा रखकर खूब इबादत की।
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