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    जहन्नम से आजादी का अशरा आज से होगा शुरू -बुधवार से मस्जिदों में होगा दस दिनों का एतिकाफ

    जहन्नम से आजादी का अशरा आज से होगा शुरू 

    -बुधवार से मस्जिदों में होगा दस दिनों का एतिकाफ 

    -शबे कद्र की पहली ताक रात आज

    -19वां रोजा : रोजेदारों से इबादतगाह गुलजार



    गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान की बहार चारों तरफ छाई हुई है। रोजेदारों से इबादतगाह गुलजार है। 19वां रोजा मंगलवार को पूरा हो गया। इबादत का सिलसिला जारी है। मस्जिद व घरों में इबादत के साथ तिलावत का दौर चल रहा है। दुआ मांगी जा रही है। चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने तरावीह नमाज में एक कुरआन-ए-पाक पूरा किया। 

    रमज़ान का दूसरा अशरा बुधवार की शाम समाप्त हो जाएगा और तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का शुरू होगा। तीसरे अशरे में शहर की तमाम मस्जिदों में दस दिनों का एतिकाफ किया जाएगा। कारी मो. अनस रज़वी ने बताया कि शबे कद्र की ताक रात बुधवार 12 अप्रैल (21वीं रात), शुक्रवार 14 अप्रैल (23वीं रात), रविवार 16 अप्रैल (25वीं रात), मंगलवार 18 अप्रैल (27वीं रात) व गुरुवार 20 अप्रैल (29वीं रात) को पड़ेगी। हमें उक्त रातों की कद्र करते हुए खूब इबादत करनी चाहिए।

    शबे कद्र की रात में इबादत करने का है बहुत सवाब : कारी अफ़जल 

    मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर के इमाम कारी अफजल बरकाती ने बताया कि शबे कद्र के बारे में अल्लाह तआला फरमाता है कि बेशक हमनें कुरआन को शबे कद्र में उतारा। शबे कद्र हजार महीनों से बेहतर है यानी हजार महीना तक इबादत करने का जिस कदर सवाब है उससे ज्यादा शबे कद्र में इबादत का सवाब है। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया शबे कद्र अल्लाह तआला ने मेरी उम्मत को अता की है। यह पहली उम्मतों को नहीं मिली। हजरत आयशा रदिअल्लाहु अन्हा से मरवी है कि पैगंबरे इस्लाम ने फरमाया शबे कद्र को आखिरी अशरा की ताक रातों में तलाश करो यानी रमज़ान की 21, 23, 25, 27, 29 में तलाशो। 

    बुधवार शाम से शुरू होगा एतिकाफ : नायब काजी 

    नायब काजी  मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने बताया कि रमज़ानुल मुबारक के आखिरी अशरा का एतिकाफ सुन्नते मुअक्कदा अलल किफाया है यानी मोहल्ले की मस्जिद में किसी एक ने कर लिया तो सबकी तरफ से अदा हो गया और अगर किसी एक ने भी न किया तो सभी गुनाहगार हुए। महिलाएं घर में एतिकाफ कर सकती हैं। वह घर का कोई एक हिस्सा निर्धारित कर लें और वहीं एतिकाफ करें। कोई खास मजबूरी न हो तो माह-ए-रमज़ान के आखिरी अशरा के एतिकाफ की सआदत हरगिज नहीं छोड़नी चाहिए। कम अज कम ज़िन्दगी में एक बार तो हर इस्लामी भाई को रमज़ान के आखिरी अशरा का एतिकाफ करना ही चाहिए। हदीस में है कि एतिकाफ करने वाले को हज व उमरा का सवाब मिलता है। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स रमज़ान के आखिरी दस दिनों में सच्चे दिल के साथ एतिकाफ करेगा। अल्लाह उसके नाम-ए-आमाल में हजार साल की इबादत दर्ज फरमाएगा और कयामत के दिन उसको अपने अर्श के साये में जगह देगा। बुधवार 12 अप्रैल की शाम से एतिकाफ शुरु होगा।
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    काले खिज़ाब का इस्तेमाल करना हराम है : उलमा किराम

    गोरखपुर। तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर मंगलवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा किराम ने क़ुरआन ओ सुन्नत की रोशनी में जवाब दिया। 

    1. सवाल : बेवा औरत ईद पर नए कपड़े पहन सकती है? (लियाकत, देवरिया)
    जवाब : इद्दत के दिन गुजारने के बाद ईद पर नए कपड़े भी पहन सकती है और हर तरह की जायज खुशी में भी शरीक हो सकती है इसमें कोई हरज नहीं है। (मुफ्ती मो. अजहर शम्सी)

    2. सवाल : दीवार पर बने परिंदे यानी कबूतर, तोता या मोर की तस्वीर किब्ला रूख हो तो उसके सामने नमाज़ पढ़ना कैसा है? (सैयद नदीम, सूर्यविहार कॉलोनी)
    जवाब : जिस कमरे के अंदर जानदार की तस्वीर लगी हुई हो चाहे ऊपर हो या नीचे हो, सामने हो, दायें हो या बायेें हो तो उस कमरे के अंदर नमाज़ पढ़ना मकरूहे तहरीमी है। सबसे ज्यादा कराहियत उस तस्वीर में है जो नमाज़ी के सामने जानिब किब्ला में हो, फिर वह जो नमाज़ी के सर पर लटकी हो, फिर वह जो उसके दाहिने हो, फिर वह जो बायें हो और सबसे कम कराहियत उसमें है कि नमाज़ी के पीछे किसी दीवार वगैरा में हो। (कारी मोहम्मद अनस)

    3. सवाल : काला खिजाब करने वाले के पीछे नमाज़ का क्या हुक्म है? (कासिद, चक्शा हुसैन)
    जवाब : काले खिज़ाब का इस्तेमाल करना हराम है और ऐसे शख़्स के पीछे नमाज़ मकरूहे तहरीमी है उसको दोबारा पढ़ना वाजिब है। (मुफ्ती अख़्तर हुसैन)

    4. सवाल : आंखें बंद कर के नमाज़ पढ़ना कैसा? (सैयद हुसैन, सूरजकुण्ड कॉलोनी)

    जवाब : अगर दिलजमई हासिल करने के लिए हो तो जायज है। (कारी मो. अनस)

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