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    हेरिटेज फाउंडेशन, वन विभाग एवं इनबुक फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सांसद रवि किशन शुक्ला का भी हुआ अभिनंदन

    योगी की प्यारी वनटांगियां बेटियों का सम्मान कर अभिभूत हूं: रवि किशन
    गोरखपुर महोत्सव एवं ताज महोत्सव में रैंपवॉक कर गोरखपुर का मान बढ़ाने वाली बेटियों का उनके घर में किया सम्मान
    हेरिटेज फाउंडेशन, वन विभाग एवं इनबुक फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सांसद रवि किशन शुक्ला का भी हुआ अभिनंदन
    गोरखपुर। 
    गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद फिल्म अभिनेता रवि किशन शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्यारी वनटांगियां बेटियों को सम्मानित कर अभिभूत हैं। गोरखपुर महोत्सव के मंच से आगरा महोत्सव(ताज महोत्सव) के मंच तक वनटांगियां बेटियों ने अंग्रेजी, स्पेनिश, हिदी और पंजाबी संगीत के फ्यूजन के साथ ट्रेडिशन वियर में रैंप वॉक कर जहां सबका दिल जीता। गोरखपुर में शो स्टॉपर का किरदार निभाने का मौका वनटांगियां बेटियों के साथ मुझे भी मिले। मेरी ह्दय से आकांक्षा है कि वनटांगियां बेटियां समाज के मुख्य धारा में शामिल होकर सीएम योगी आदित्यनाथ की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाएं। 
    सांसद रवि किशन शुक्ला, बुधवार को हेरिटेज फाउंडेशन गोरखपुर द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आगरा एवं गोरखपुर महोत्सव में रैंप वॉक कर गोरखपुर का नाम आगे बढ़ाने के लिए बुधवार को जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन में आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस समारोह में हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल, मनीष चौबे, पशु कल्याण कार्यकर्ता शिवेंद्र यादव, सामाजिक कार्यकर्ता भूपेंद्र दत्त पाण्डेय, हेरिटेज वारियर्स की संयोजिका मल्लिका मिश्रा ने हेरिटेज फाउंडेशन परिवार की ओर से अभिनंदन भी किया। इसके पूर्व शुभारंभ सांसद रवि किशन शुक्ला ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उसके बाद हेरिटेज की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल ने मानपत्र का वाचन कर सांसद रवि किशन को हेरिटेज परिवार की ओर से मानपत्र सौंपा। कार्यक्रम का संचालन हेरिटेज वारियर्स की संयोजिका मल्लिका मिश्रा ने किया। अतिथियों का स्वागत करते हुए हेरिटेज संयोजिका अनिता अग्रवाल ने कहा कि यह सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल है कि गोरखपुर समेत समस्त यूपी विकास के पथ पर चल रहा है। दशकों से उपेक्षा का दंश झेल रहे वनटांगियां भी अब आवास, बिजली, पानी, चूल्हा, राशन, पेंशन, सड़क, खेत की चिंताओं से उपर उठ कर अब बड़ा सपना देख रहे हैं। रैंप वॉक पर मंच पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही हैं। उन्होंने कहा कि गोरखपुर के समग्र विकास की गति को सांसद रवि किशन शुक्ला भी निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। इस समारोह के आयोजन में इनबुक फाउंडेशन एवं कैफे सोशल मैंगजीन के भी सहयोग किया। कार्यक्रम में वनटांगिया ग्राम जंगल तिनकोनियां के मुखिया राम गणेश, पवन दूबे, समरेंद विक्रम सिंह, जय यदुवंशी, शिवम चंद एवं केशरी नंदन पाण्डेय समेत काफी संख्या में वनटांगिया समाज मौजूद रहा। 
    बोले रवि किशन, पांच दीपावली में मिटा दी सारी पीड़ा
    रवि किशन शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने महज पांच दिवाली में वनटांगिया समुदाय की सौ साल की कसक मिटा दी है। लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाने वाले योगी ने सीएम बनने के बाद अपने कार्यकाल के पहले ही साल वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दे दिया। राजस्व ग्राम घोषित होते ही ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए जो सामान्य नागरिक को मिलती है। तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित कर दिया है। वनटांगिया गांवो में आज सभी के पास अपना सीएम योजना का पक्का आवास, कृषि योग्य भूमि, आधारकार्ड, राशनकार्ड, रसोई गैस है। बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं, पात्रों को वृद्धा, विधवा, दिव्यांग आदि पेंशन योजनाओं का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि वनटांगिया समाज के साथ वे खुद भी खड़े हैं। कोई भी जरूरत हो वे हर संभव मदद के लिए तैयार हैं। 
    इन्हें मिला सम्मान
    सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता मॉडल एवं कोरियोग्राफर शुगम सिंह सेखावत, श्रीमती नीतू देवी (30), सपना साहनी(18), श्रीमती गुंजा (25), रिंकी (25), श्रीमती ज्योति(30), संगीता देवी(25), श्रीमती दुईजी देवी (66), कविता देवी (25),सविता(18), ममता गौड़ (17), रीतू (17),छोटू पासवान (25), रामप्रवेश (19), संजय (25), विनोद (40), राज (25) को हेरिटेज फाउंडेशन एवं वन विभाग गोरखपुर  की ओर से प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उपहार भी प्रदान किए गए। लोकप्रिय फिल्म अभिनेता रवि किशन के हाथों सम्मानित होकर सभी उल्लास से भरे हुए थे। 
    कौन हैं सौ साल तक उपेक्षित रहे वनटांगिया
    अंग्रेजी शासनकाल में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई। इसकी भरपाई के लिए अंग्रेज सरकार ने साखू के पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया। साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की टांगिया विधि का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए। कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं। 1947 में देश भले आजाद हुआ लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा। जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास न तो खेती के लिए जमीन थी और न ही झोपड़ी के अलावा कोई निर्माण करने की इजाजत। पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं। और तो और इनके पास ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं था जिसके आधार पर वह सबसे बड़े लोकतंत्र में अपने नागरिक होने का दावा कर पाते। समय समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय।

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