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    रोजेदारों के रूह व जिस्म की हो रही ट्रेनिंग

    रोजेदारों के रूह व जिस्म की हो रही ट्रेनिंग


    गोरखपुर। शनिवार को 16वां रोजा इबादत व क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत में बीता। माह-ए-रमज़ान में रोजेदारों के रूह व जिस्म की ट्रेनिंग जारी है। रोजेदार अल्लाह व रसूल के जिक्र में मशगूल हैं। घरों व मस्जिदों में तरावीह की नमाज व कुरआन-ए-पाक की तिलावत जारी है।

    सोशल मीडिया पर भी रमज़ान की बहारें है। कुरआन-ए-पाक की आयत, हदीस-ए-पाक व दुआएं एक दूसरे से शेयर की जा रही हैं, साथ ही जकात व फित्रा जरूरतमंदों को देने की अपील भी हो रही है। ऑनलाइन तकरीर व नात-ए-पाक भी सुनी जा रही है। इस दौर में उलमा किराम भी सोशल मीडिया के उपयोग से पीछे नहीं है। बड़े-बड़े उलमा किराम की तकरीर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है।  व्हाटसएप ग्रुप पर रमज़ान के मसले मसायल बताए जा रहे हैं। इसके अलावा पवित्र स्थान जैसे मक्का-मदीना, मस्जिद-ए-अक़्सा व बुजुर्गों के मजारात आदि के वीडियो व फोटो भी लोग शेयर कर रहे है। ईद की खरीददारी शुरु हो चुकी है। 21 रमज़ान से शाह मारूफ का मशहूर बाजार भी शुरु हो जाएगा। घंटाघर, रेती, गीता प्रेस, गोलघर आदि जगहों पर ईद के लिए खरीदारी हो रही है।

    रोजा रखने से गुनाह माफ होते हैं : कारी शराफत 

    बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादपुर के इमाम कारी शराफत हुसैन कादरी ने बताया कि रमज़ान के महीना हममें इतना तक़वा (परहेजगारी) पैदा कर सकता है कि सिर्फ रमज़ान ही में नहीं बल्कि उसके बाद भी ग्यारह महीनों की ज़िन्दगी भी सही राह पर चल सके। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का मशहूर फरमान है कि जिसने ईमान के साथ सवाब की नियत से यानी खालिस अल्लाह की खुशनूदी हासिल करने के लिए रोज़ा रखा उसके पिछले तमाम गुनाह माफ फरमा दिए जाते हैं। 

    इबादत करने से गुनाह माफ होते हैं : कारी अनस

    मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर  के शिक्षक कारी मो. अनस रज़वी ने बताया कि जिसने ईमान के साथ सवाब की नियत से यानी रिया, शोहरत और दिखावे के लिए नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की खुशनूदी के लिए रात में इबादत के लिए खड़ा हुआ यानी नमाज़े तरावीह और तहज्जुद पढ़ी तो उसके पिछले तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। एक और हदीस में है कि जो शख्स शबे कद्र (21, 23, 25, 27, 29 रमज़ान की रात) में ईमान के साथ और सवाब की नियत से इबादत के लिए खड़ा हुआ यानी नमाज़े तरावीह और तहज्जुद पढ़ी, क़ुरआन की तिलावत की और अल्लाह का ज़िक्र किया तो उसके पिछले तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।
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    पूरे मोहल्ले से कोई भी एतिकाफ़ में नहीं बैठा तो सब गुनाहगार : उलमा किराम

    गोरखपुर। तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर शनिवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा किराम ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया। 

    1. सवाल : अगर पूरे मोहल्ले से कोई भी एतिकाफ़ में नहीं बैठा तो क्या सब गुनाहगार होंगे? (अकमल हुसैन, तकिया कवलदह)
    जवाब : हां। एतिकाफ़ करना सुन्नत अलल किफाया है अगर पूरे मोहल्ले से कोई भी एतिकाफ़ में नहीं बैठा तो सब गुनाहगार होंगे। (मुफ्ती अख्तर हुसैन)

    2. सवाल : क्या दौराने एतिकाफ़ मोबाइल का इस्तेमाल किया जा सकता है? (सैफ, तुर्कमानपुर)
    जवाब : हां, ज़रूरत की बिना पर इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन मस्जिद के आदाब और दूसरे नमाजियों के हुकूक का ख्याल रखते हुए। (कारी मो. अनस)

    3. सवाल : बगैर वुजू के अज़ान देना कैसा? (आसिफ महमूद, जमुनहिया बाग)
    जवाब : ऐसा करना मकरूह है लेकिन अज़ान अदा हो जाएगी। (मुफ्ती मेराज)

    4. सवाल : क्या सगी खाला (मां की बहन) को जकात दे सकते हैं? (अब्दुल, अलीनगर)
    जवाब : अगर खाला जकात की मुस्तहिक है तो उन्हें जकात दे सकते हैं। (मुफ्ती मो. अजहर)

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