Header Ads

ad728
  • Breaking News

    माह-ए-रमज़ान का अलविदा जुमा आज, इंतजाम पूरे

    माह-ए-रमज़ान का अलविदा जुमा आज, इंतजाम पूरे    


    गोरखपुर। शहर की मस्जिदों में अलविदा जुमा (माह-ए-रमजान का अंतिम जुमा) के मद्देनजर तमाम इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। मस्जिदों की साफ-सफाई करीब पूरी हो गई है। दरी, चटाई व पानी की समुचित व्यवस्था कर ली गई है। अलविदा जुमा के मौके पर मस्जिदों में खूब भीड़ उमड़ेगी।

    दोपहर 12:30 बजे से 2:30 बजे तक सभी मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा की जाएगी। मस्जिदों में तकरीर और अलविदाई खुतबा होगा। इसके बाद मुस्लिम समाज के लोग दो रकात जुमा की फर्ज नमाज अदा करेंगे। शहर व ग्रामीण अंचल की सभी मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा कर खुसूसी दुआ मांगी जाएगी। जुमा की नमाज सबसे अंत में चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में दोपहर 2:15 बजे व सुन्नी जामा मस्जिद सौदागार मोहल्ला बसंतपुर में दोपहर 2:30 बजे अदा की जाएगी।

    गुरुवार को 28वां रोजा अल्लाह की इबादत व ईद की खरीदारी में बीता। शबे कद्र की अंतिम ताक रात में खूब इबादत हुई। अल्लाह के बंदे दिन में रोजा रख रहे हैं और रात में तरावीह नमाज पढ़कर अल्लाह का शुक्र अदा कर रहे हैं। मौसम का मिजाज सख्त है। आधी आबादी इबादत, घर के काम व ईद की खरीदारी में मशगूल है। बाजार दिन रात गुलजार है।

    नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा कि रमज़ान के महीने के आखिरी जुमा को अलविदा या जुमातुल विदा भी कहते हैं। यूं तो इस माह के हर दिन की अहमियत है, लेकिन जुमा को और दिनों का सरदार कहा जाता है इसलिए इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। इसे छोटी ईद या हफ्ते की ईद भी कहा जाता है। रमज़ान के आखिरी जुमा की नमाज से रमज़ान के समापन का संदेश मिलता है। ईद के आने की खुशी जहां लोगों में होती है, वहीं इस रहमत भरे महीने के जाने का गम भी होता है। अलविदा के माने रुखसत करना है। अलविदा रमज़ान के आखिरी जुमा को कहते है। इसके बाद रमज़ान में कोई दूसरा जुमा नहीं आता है, इसलिए अलविदा कहा जाता है।

    मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी ने बताया कि कुरआन-ए-पाक में अल्लाह तआला फरमाता है, रोजों की गिनती पूरी करो और अल्लाह की बड़ाई बोलो कि उसने तुम्हें हिदायत फरमाई। हदीस में है जब पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीने में तशरीफ लाए उस जमाने में अहले मदीना साल में दो दिन खुशी करते थे महरगान व नौरोज। पैगंबरे इस्लाम ने फरमाया यह क्या दिन है? लोगों ने अर्ज किया कि जाहिलियत में हम इन दिनों में खुशी करते थे। पैगंबरे इस्लाम ने फरमाया अल्लाह तआला ने उनके बदले में इनसे बेहतर दो दिन तुम्हें दिए हैं ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अज़हा।
    ---------------------
    नौ साल की आरजू ने रखा पहला रोजा 
    गोरखपुर। बख्तियार मोहल्ला निवासी खालिद मकसूद और तबस्सुम की नौ साल की पुत्री आरजू ने गुरुवार को पहला रोजा रखा। माउंट हेरा में कक्षा पांच की छात्रा आरजू ने परिवार के साथ सहरी खाई। दिन भर इबादत की। परिवार ने हौसला बढ़ाया। आरजू के पहला रोजा रखने की खुशी में तिवारीपुर स्थित एक मैरेज हाउस में रोजा इफ्तार पार्टी हुई। आरजू ने परिवार व मेहमानों के साथ अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए रोजा खोला। इस मौके पर आरजू को अतिया रब्बी, खालिद मकसूद, यासमीन फातिमा, असफहान खालिद, मो. अफ्फान खालिद, शहजाद अली, इजहार अख्तर, परवीन फातिमा, तस्मिया अख्तर, तौसीफ अख्तर, तय्यब अख्तर, अजरा जमाल,  नौशीन फातिमा, मो . आज़म, हंजला, हम्जा, शकील अहमद खान आदि ने दुआएं और ढेर सारे तोहफे दिए।
    ----------------
    दो मस्जिदों में वर्ल्ड दरूद डे मनाया गया 
    गोरखपुर। सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में गुरुवार को वर्ल्ड दरूद डे अदबो एहतराम के साथ मनाया गया। पूरी रात पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में दरूदो सलाम का नज़राना पेश किया गया। खुसूसी दुआ मांगी गई। सामूहिक सहरी की गई। वहीं मदरसा अंजुमन इस्लामिया खूनीपुर के पीछे वाली मस्जिद में वर्ल्ड दरूद डे मनाया गया। ईद मिलादुन्नबी की महफिल सजी। मुल्क में अमनो अमान, भाईचारे व खुशहाली की दुआ मांगी गई। कार्यक्रम मेें अली गजनफर शाह, मुश्ताक हसन, राजू, फैज मुस्तफा, रेहान कुरैशी,  मो. कैश,  शीबू खान, आसिफ नूर, अशहर अली, चिंटू, अमान, जैद मुस्तफाई, समीर अली, मो. फैज, कामिल कुरैशी, हाफिज मिनहाजुद्दीन, हाफिज फुरकान, हाफिज मुजम्मिल रजा, हाफिज मोहसिन, हाफिज हम्माद आदि शामिल हुए।
    -------------------
    ईद की नमाज का समय तय, 22 या 23 को ईद-उल-फित्र

    गोरखपुर। ईद-उल-फित्र की नमाज के लिए ईदगाहों व मस्जिदों में तैयारियां तेज है। रंग-रोगन हो रहा है। ईदगाह मुसलमानों के दो सबसे बड़े त्योहार ईद-उल-फित्र और ईद-उल-अज़हा की खुशी मनाने के लिए है। यहीं पर दो रकात नमाज अदा कर बंदे अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं और खुशियां मनाते हैं। 

    मौलाना महमूद रजा कादरी ने बताया कि ईदगाह का अर्थ होता है खुशी की जगह या खुशी का समय। यह ऐसी जगह है जहां पर बंदे दो रकात नमाज पढ़कर अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं। जब बंदा 29 दिन या  30 दिन का रोजा पूरा कर लेता है तो अल्लाह तआला उसे खुशी मनाने का हुक्म देता है। इस्लाम धर्म के मानने वाले शुक्रवार को 29वां रोजा पूरा करके ईद का चांद देखेंगे। अगर चांद नज़र आ गया तो शनिवार 22 अप्रैल को ईद का त्योहार मनाया जाएगा। अगर चांद नहीं दिखा तो शनिवार को 30वां रोजा मुकम्मल कर रविवार  23 अप्रैल को ईद का त्योहार मनाया जाएगा। 

    हाफिज रहमत अली निजामी ने बताया कि ईदगाह में ईद की नमाज अदा करना पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व सहाबा किराम की सुन्नत है। इसलिए कोशिश रहे ईद की नमाज ईदगाह में ही अदा करें। ईदगाह दो ईदों के लिए ही बनाई गई है। ईद-उल-फित्र की नमाज के लिए जाते हुए रास्ते में अाहिस्ता से तकबीरे तशरीक 'अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाह। वल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, व लिल्लाहिल हम्द' पढ़ी जाएगी। नमाज ईदगाह में जाकर पढ़ना और रास्ता बदल कर आना, पैदल जाना और रास्ते में तकबीरे तशरीक पढ़ना सुन्नत है। पैगंबरे इस्लाम ईद-उल-फित्र के दिन कुछ खाकर नमाज के लिए तशरीफ ले जाते। ईद को एक रास्ते से तशरीफ ले जाते और दूसरे से वापस होते।  

    नायब काजी मुफ़्ती  मो. अजहर शम्सी ने बताया कि पांच महीनों का चांद देखना वाजिबे किफाया है शाबान, रमज़ान, शव्वाल, ज़ीक़ादा, जि़लहिज्जा। पैगंबर-ए-इस्लाम ने फरमाया कि महीना 29 का भी होता है और 30 का भी। रोजा चांद देख कर शुरु करो और चांद देख कर रोजा बंद कर दो। अगर आसमान साफ नहीं है तो 30 की गिनती पूरी करो। 

    दरगाह से होगा ईद-उल-फित्र के चांद का ऐलान

    नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद की ओर से ईद-उल-फित्र के चांद का ऐलान किया जाएगा। यह जानकारी मुफ़्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी ने दी है। उन्होंने बताया कि तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत की ओर से ईद-उल-फित्र के चांद की तस्दीक के लिए उलमा किराम की चांद कमेटी गठित है। शुक्रवार  21 अप्रैल को मगरिब के समय कमेटी के सदस्य दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद पर मौजूद रहेंगे। चांद देखने का मुकम्मल इंतजाम रहेगा। अवाम से गुजारिश की गई है कि जो लोग चांद देखें वह दरगाह पर संपर्क करें।

    ईद-उल-फित्र की नमाज़ का समय (सुबह) 

    1. चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर, बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादपुर, मस्जिद मियां साहब सैनिक विहार नंदानगर  - 6:45 बजे

    2. मस्जिद जोहरा मौलवी चक बड़गो, मोती जामा मस्जिद अमरुतानीबाग रसूलपुर, खपड़े वाली मस्जिद अहमदनगर चक्शा हुसैन, दारोगा मस्जिद अफगानहाता - 7:00 बजे

    3. अहले बैत जामा मस्जिद पुराना गोरखपुर गोरखनाथ, नूर जामा मस्जिद चिलमापुर, नूरानी जामा मस्जिद कामरेड नगर, मस्जिद मुसम्मात नसीबन बीबी  (कादरिया मस्जिद) निकट नखास चौक कोतवाली रोड, बेलाल जामा मस्जिद रसूलपुर भट्टा दरिया चक  - 7:15 बजे

    4. जामा मस्जिद रसूलपुर, ईदगाह इमामबाड़ा इस्टेट मियां बाज़ार, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, गाजिया मस्जिद बहरामपुर, मक्का मस्जिद मेवातीपुर, झरना टोला मस्जिद - 7:30 बजे

    5. मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक, शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह, गौसिया जामा मस्जिद इस्लामिया नगर लीची वाला बाग  - 7:45 बजे

    6. ईदगाह हज़रत मुबारक ख़ां शहीद नार्मल, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर, मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर, सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह, मस्जिद जामेनूर ज़फ़र कॉलोनी बहरामपुर, सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, फिरदौस जामा मस्जिद जमुनहियाबाग, तामीरुल मसाजिद सूरजकुंड कॉलोनी अम्बेडकर नगर, हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो, मस्जिद-ए-कुबा मोहम्मद नगर पादरी बाजार, मस्जिदे कादरिया गुलशन असुरन पोखरा भेड़ियागढ़ बशारतपुर - 8:00 बजे

    7. मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर - 8:15 बजे

    8. ईदगाह फतेहपुर मेडिकल कॉलेज, औलिया जामा मस्जिद घोसीपुरवा, ईदगाह बेनीगंज, ईदगाह सेहरा बाले का मैदान बहरामपुर, जामा मस्जिद उर्दू बाज़ार - 8:30 बजे

    9. अल मदीना सुन्नी जामा मस्जिद लतीफनगर कॉलोनी पादरी बाजार - 9:00 बजे

    10. सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार - 9:15 बजे

    11. शाही मस्जिद बसंतपुर सराय - 10:00 बजे 

    12. सुन्नी जामा मस्जिद सौदागार मोहल्ला बसंतपुर - 10:30 बजे
    ---------------------
    औरतों पर जुमा की नमाज फर्ज  नहीं है : उलमा किराम 

    गोरखपुर। तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्प लाइन नंबर पर गुरुवार को रोजा, नमाज, जकात, सदका-ए-फित्र व ईद की नमाज आदि के बारे में सवाल आते रहे। उलमा किराम ने शरीअत की रोशनी में जवाब दिया।

    1. सवाल : औरतों पर जुमा की नमाज पढ़ने का क्या हुक्म है? (वसीम, तकिया कवलदह)
    जवाब : जुमा की नमाज मर्दों पर फर्ज है। औरतों पर जुमा की नमाज फर्ज नहीं। वह रोज़ाना की तरह नमाजे जोहर अदा करें।(कारी मो. अनस रज़वी)

    2. ईद की नमाज मस्जिद में पढ़ना कैसा है? (जुबैर, गोरखनाथ)
    जवाब : ईदैन की नमाज वाजिब है और उसके लिए खुले मैदान में निकलकर अदा करना सुन्नत है, बगैर किसी उज्र के ईद की नमाज मस्जिद में पढ़ना खिलाफे सुन्नत है। अलबत्ता किसी उज्र की वजह से ईदगाह या खुले मैदान में नमाज पढ़ना मुश्किल हो तो मस्जिद में पढ़ना जायज है। (मुफ्ती मो. अजहर शम्सी)

    3. सवाल : अगर सूरह फातिहा पढ़ने के बाद सूरत मिलाना भूल जाए और रुकु में याद याद आए तो क्या करें? (अदहम, छोटे काजीपुर)
    जवाब : अगर सूरत मिलाना भूल जाए फिर रुकु में याद आए तो खड़ा हो जाए और सूरत मिलाए फिर रुकु करे और आखिर में सजदा-ए-सह्व करे। (मौलाना जहांगीर अहमद)

    4. सवाल : नमाजे चाश्त कितनी रकात है? (मो. आज़म, खोखर टोला)
    जवाब : चाश्त की नमाज मुस्तहब है। कम से कम दो और ज्यादा से ज्यादा बारह रकात है। हुजूर अलैहिस्सलाम ने फरमाया जो चाश्त की दो रकातों पर मुहाफजत करे उसके गुनाह बख्श दिए जाएंगे, अगरचे समंदर के झाग के बराबर हो। (मौलाना मोहम्मद अहमद)

    कोई टिप्पणी नहीं

    thanks for comment...

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728
    ad728