भ्रष्टाचार का अड्डा बना चिट्स एंव सोसायटी कार्यालय
*भ्रष्टाचार का अड्डा बना चिट्स एंव सोसायटी कार्यालय*
*बिना पैसे के यहां नहीं होता कोई काम*
*पत्रावली के रखरखाव और डिस्पैच की न तो समय सीमा और न ही तय है जिम्मेदारी*
*लिपिक के दुर्व्यवहार से आए दिन दो चार होना पड़ता आम नागरिक को*
गोरखपुर। स्कूल कालेज, मदरसों और सामाजिक संस्थाओं के लिए सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन कराने का नियम है। गोरखपुर और बस्ती मंडल में स्थित सभी स्कूल कालेज मदरसा समेत अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन का कार्य बेतियाहाता स्थित सहायक रजिस्ट्रार कार्यालय में ही होता है। जहां एक तरफ लगभग सभी सरकारी कार्यालय ठीक ठाक भवन में है वहीं यह कार्यालय वर्षों से किराए के जर्जर मकान में चल रहा है। सबसे खास बात ये है कि जीरो टॉलरेंस वाली सरकार के मुखिया के जिले में स्थित इस कार्यालय में बिना पैसा लिए लिपिक लोगों से सीधे मुँह बात भी नहीं करते । कई लोगों का कहना है कि यह कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है । अगर बात करें पत्रावलीयों के रखरखाव कि तो उनकी स्थिति बेहद दयनीय है और फाइलें धूल फांक रही है।पत्रावली का सही से रखरखाव न होने की वजह से तमाम फाइलों में दीमक लग चुकी है और रिकॉर्ड भी धीरे धीरे खत्म हो रहा है।
अगर पत्रावालियों के डिस्पैच की बात करें तो बिना सुविधा शुल्क वाली फाइलें महीनों-महीने बाबू के टेबल पर पड़ी रह जाती हैं उसे डिस्पैच भी नहीं किया जाता है। खुद सहायक रजिस्ट्रार नागेंद्र सिंह ने भी स्वीकार किया कि लिपिक की लापरवाही की वजह से बहुत से डिस्पैच समय से नहीं जा पाते हैं और लोग परेशान होकर कार्यालय पर संपर्क करते हैं तब पता चलता है कि उनकी पत्रावली तो अभी बाबू की टेबल पर ही है। पैरवी करने के बाद ही पत्रावली आगे बढ़ती है । ताजा मामला मकतब जामिया इस्लामिया कादरीया दारुल उलूम हतवा नकहनी पोस्ट भटनी देवरिया का है। जिसकी मूल पत्रावली को हाई कोर्ट के आदेश पर विचरण के लिए तलब किया गया है मूल पत्रावली को एसडीएम सलेमपुर ने सहायक चिटफंड कार्यालय से 9 मई 2023 को मांगा और 16 मई 2023 एसडीएम सलेमपुर के कार्यालय से डिस्चार्ज भी हो चुका है । पत्रावली के संबंध में गोरखपुर मंडल के चिटफंड कार्यालय पर तैनात लिपिक अशोक से पूछने पर वह भड़क उठे और अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया। यह हाल है चिटफंड कार्यालय के लिपि का जो लोगों से आए दिन दुर्व्यवहार करते रहते हैं बिना पैसा लिए यह किसी की नहीं सुनते।
यह हाल है सीएम सिटी गोरखपुर का जहां पर गोरखपुर और बस्ती मंडल के सात जिलों के लोगों को सामाजिक व शैक्षणिक संस्थानों के लिए लाइसेंस दिया जाता है लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि वर्षों से सरकारी कार्यालय किराए के भवन में चल रहा है और एक ही स्थान और पटल पर वर्षों से लिपिक तैनात हैं जिनका स्थानांतरण भी नहीं किया गया। और यही वजह है कि यहां तैनात लिपिक बेलगाम हो गए हैं और उनका मनमाना रवैया बना रहता है जिससे वह लोगों से आए दिन दुर्व्यवहार करते रहते हैं।
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