रक्तदान के लिए भी मानकों का पालन आवश्यक-सीएमओ*
*विश्व रक्तदान दिवस (14 जून 2023) पर विशेष*
*रक्तदान के लिए भी मानकों का पालन आवश्यक-सीएमओ*
रक्तदान के बाद भी रक्तदाता को रखनी है सतर्कता
*गोरखपुर, 13 जून 2023*
रक्तदान करके न केवल दूसरों को अनमोल जीवन का तोहफा दिया जा सकता है, बल्कि इसमें स्वस्थ जीवन का राज भी छिपा हुआ। इस पुनीत काम के लिए भी मानकों का पालन अति आवश्यक है । रक्तदान के बाद भी रक्तदाता द्वारा सतर्कता रखी जानी जरूरी है। यह जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि रक्तदान का शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है । भारत जैसे देश में हर दो सेंकेंड में ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है और हर साल पांच करोड़ यूनिट खून की आवश्यकता है जिसमें से आधे की ही जरूरत पूरी हो पा रही है। ऐसे में हर स्वस्थ व्यक्ति को रक्तदान के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने बताया कि एसीएमओ डॉक्टर नंद कुमार, डॉक्टर एके चौधरी और उन्होंने खुद भी कई बार रक्तदान किया है।
सीएमओ ने बताया कि नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल (एनबीटीसी) की सिफारिशों के अनुसार रक्तदाता को कोई संक्रामक रोग नहीं होना चाहिए। 18-60 आयुवर्ग का कोई फिट व्यक्ति जिसका वजन 50 किलो तक या उससे अधिक है, रक्तदान कर सकता है । रक्तदाता का पल्स रेट 60-100 के बीच होना चाहिए और हीमोग्लोबिन का स्तर 12.5 ग्राम होना चाहिए। रक्तदान से पहले पर्याप्त पानी या तरल पदार्थ का सेवन आवश्यक है। नींद भी पूरी होनी चाहिए। खून देने से तीन घंटे पहले आयरन युक्त भोजन साबुत अनाज, अंडा, पालक, हरी पत्तेदार सब्जियां और खट्टे मीठे फल अवश्य लें। वसायुक्त भोजन बिल्कुल न करें। रक्तदान के एक दिन पहले और तीन घंटे बाद तक धुम्रपान व अल्कोहल नहीं लेना है। रक्तदान के तुरंत बाद न तो वाहन चलाएं और न ही मेहनत वाला काम करें। प्रोटीन से भरपूर भोजन करें।
*ऐसे फायदेमंद है रक्तदान*
डॉ दूबे ने बताया कि रक्तदान करने के 49 घंटे के भीतर शरीर में कम हुई लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण शुरू हो जाता है जिससे शरीर स्वस्थ एवं फिट रहता है। रक्तदान करने से शरीर में आयरन का स्तर सही रहता है जिससे ह्रदय रोगों का खतरा कम हो जाता है। इससे कैलोरी कम करने और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करने में मदद मिलती है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और कैंसर सहित कई गंभीर रोगों की आशंका कम हो जाती है। रक्तदान से पहले खून की जांच होने से शरीर की भी जांच होती रहती है। रक्तदान के दौरान शरीर से उतनी ही मात्रा में खून लिया जाता है जितनी मात्रा व्यक्ति के शरीर के लिए घातक न हो, इसलिए यह पूरी तरह से सुरक्षित है । वजन के अनुसार अधिकतम 350 से 450 मिली रक्त ही लिया जाता है और यह पूरी प्रक्रिया किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही सम्पन्न होनी चाहिए।
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