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    कंस का काल बना देवकी की आठवीं संतान ,कोमल नंद

    कंस का काल बना देवकी की आठवीं संतान : कोमला नन्द घघसरा बाजार । बांसगांव सन्देश । भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान कृष्ण जन्म लिए थे। उक्त बातें अयोध्या धाम से पधारे आचार्य कोमला नन्द जी महाराज ने ग्राम पुन्डा में चल रहे श्रीमद्भागवत के चौथे दिन श्रोताओं को कथा रसपान के दौरान कहा। उन्होंने कहा यह तिथि उसी शुभ घड़ी की याद दिलाती है जो भादो मास के आठवें दिन देश के सभी मंदिर और लोगों के घरों में हर जगह बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। आगे उन्होंने कहा द्वापरयुग में भोज वसी राजा उग्रसेन मथुरा के राजा थे। उनका आताताई पुत्र कंस ने उन्हें गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा था। कंस की एक बहन देवकी थी जिसका विवाह वसुदेव से हुआ था। एक समय कंस अपनी बहन देवकी को ससुराल पहुंचाने जा रहा था। रास्ते में आकाशवाणी हुई कि हे कंस जिस देवकी को तू बड़े प्यार दुलार से ले जा रहा है, उसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां संतान ‌तेरा बध करेगा । यह सुन कर कंस वसुदेव को मारने के लिए दौड़ पड़ा।तब देवकी ने उससे विनय पूर्वक कहा मेरे गर्भ से संतान होगी उसे मैं तुम्हें सौंप दूंगी। बहनोई को मारने से क्या लाभ। कंस ने देवकी की बात मान ली और देवकी वासुदेव को कारागार में डालकर मथुरा वापस चला गया। वासुदेव -देवकी के एक एक करके सात संतान हुए और सातो को जन्म लेते ही कंस ने उन्हें मार डाला। अब आठवां संतान होने वाला था। 


    उस समय कारागार मे उन पर कड़े पहरे बिठा दिये गये।उस समय नन्द की पत्नी यशोदा को भी गर्भवती थी। उन्होंने वासुदेव देवकी के दुखी जीवन को देख आठवें संतान की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वासुदेव देवकी को पुत्र पैदा हुआ उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का ‌जन्म हुआ जो और कुछ नहीं ‌वह माया थी। इस अवसर पर मुख्य यजमान डा. ए.के. भट्ट, चुनमुन भट्ट, विकास भट्ट, माला, छेमेनद्र भट्ट, सुमित्रा, चुटपुट, नीलम शम्भू भटृ, विजय भट्ट, राम नगीना, बशिष्ठ, वकील मास्टर, गोली, छपाकर, दिन दयाल आदि लोग मौजूद रहे।

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