साझे हितों की रक्षा के लिए एफपीओ का गठन करें मत्स्यपालक:डीएम
जिलाधिकारी ने प्रगतिशील मत्स्यपालको संग किया संवाद, बायोफ्लॉक एवं आरएएस विधि से मत्स्यपालन करने के लिए किया प्रेरित
देवरिया । जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने आज कलेक्ट्रेट सभागार में प्रगतिशील मत्स्यपालको के साथ बैठक कर रिसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) तथा बायोफ्लॉक विधि से मत्स्य पालन करने में हर संभव सहयोग के लिए आश्वस्त किया। उन्होंने कहा साझे हितों की रक्षा के लिए मत्स्यपालक एफपीओ का गठन करें और वैज्ञानिक विधि से बड़े पैमाने पर मछलियों का उत्पादन करें।
जिलाधिकारी ने कहा कि वे स्वयं अपनी निगरानी में चुनींदा रिसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम प्लांट एवं बायोफ्लॉक प्लांट स्थापित करवाएंगे और किसानों को प्रशिक्षण देने की दिए विशेषज्ञों को आमंत्रित करेंगे। जिलाधिकारी ने मत्स्यपालको को बताया कि आरएएस सिस्टम में टेंपरेचर कंट्रोलर लगा होता है जिसकी वजह से मछलियों को तीव्र गति से वृद्धि करने के लिए उचित वातावरण उपलब्ध रहता है। इसमें मैकेनिकल बायोफिल्टर का प्रयोग किया जाता है जिससे पानी का पुनरचक्रीकरण होता रहता है और कई साल तक पानी बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। उन्होंने बताया कि बायोफ्लाक एवं आरएएस विधि से मत्स्य पालन कर साल में मछली की तीन पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
मत्स्यपालको ने मछली बीज की उपलब्धता, प्रशिक्षण एवं बाजार से जुड़ी कुछ आशंकाएं व्यक्त की जिस पर जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में ही मत्स्य बीज तैयार करने हेतु नर्सरी-हैचरी की स्थापना की जाएगी।मत्स्यपालको को 3 से 6 माह का प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें बाजार की मांग के अनुरूप मार्केटिंग स्ट्रेटजी से भी प्रशिक्षित किया जाएगा।
जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में मछली की भारी खपत है जिसके सापेक्ष स्थानीय उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है। मत्स्यपालको को गैर राज्य से आने वाली मछलियों की तुलना में कम उत्पादन लागत पर मछलियों का उत्पादन करना होगा। मत्स्य पालक एवं किसान एफपीओ के माध्यम से बाजार की शक्तियों से मुकाबला कर सकते हैं।
बैठक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य नन्द किशोर, मत्स्य निरीक्षक रितेश शाही, वेंकटेश्वर त्रिपाठी, प्रमोद पांडेय, अमरदीप सिंह, अनूप सिंह, विनय गुप्ता, शैलजा सहित बड़ी संख्या में प्रगतिशील मत्स्यपालक उपस्थित थे।
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