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    मदरसा जामिया कबीरिया के तीन छात्रों द्वारा कुरआन हिफ्ज मुकम्मल करने पर दुआ का हुआ आयोजन

    मदरसा जामिया कबीरिया के तीन छात्रों द्वारा कुरआन हिफ्ज मुकम्मल करने पर दुआ का हुआ आयोजन।

    हर महीने की तरह इस महीने में भी अय्याम बिज के मौके पर मजलिस दरूद शरीफ का आयोजन।

     

    नवादा, बिहार।

     नवादा जिला अंतर्गत गुलानी कलां में हर माह की तरह इस माह भी हजरत मौलाना मुहम्मद मदनी साहब दामत बरकातुहुम  अल-आलिया उत्तराधिकारी हजरत मौलाना हस्सान अहमद मजाहिरी रहमतुल्लाह अलैह सज्जादा निशीन खानकाह खलीलिया चिश्तिया धरमपुर जमुई के मशविरा  से एक सुधार एवं दरूद शरीफ़ की मजलिस आयोजित की गई। जो हर महीने होता है। इस अवसर पर, जामिया कबिरिया गुलानी कलां, जिला नवादा के तीन प्रतिभाशाली छात्रों ने 15 जुमादी अल-अव्वल 1445 हिजरी के अनुसार गुरुवार, 30 नवंबर, 2023 को कुरआन हिफ्ज़ की और दरूद  शरीफ की बैठक आयोजित की गई। 
      संबंधित खानकाह धरमपुर और नजदीकी गुलानी कलां के दोस्तों ने ऐसी आध्यात्मिक और संपूर्ण कुरआन हिफ्ज़ की बैठक में भाग लेकर अपने दिलों को रोशन किया और जामिया के छात्रों को  प्रोत्साहित किया।  अल्लाह हम सभी को ज्ञान की संपत्ति और कुरआन की संपत्ति से नवाजे, आमीन।
     सुधारात्मक बैठक एक दिन पहले, बुधवार, 29 नवंबर को, 9:00 बजे से 10:00 बजे तक आयोजित की गई थी। असर तक दुरूद शरीफ और खतम ख्वाजगान का पाठ किया गया था। उसके बाद, 30 नवंबर को दुरूद शरीफ को लगभग सवा लाख बार पढ़ा गया था। उसके बाद फज्र से 9 बजे तक दरूद शरीफ हुआ फिर बाद मे हाफिज मुहम्मद हस्सान अख्तर की तिलावत ए कुरआन से  महफिल का विधिवत शुभारंभ हुआ। उसके बाद नात रसूल मुहम्मद शहाबुद्दीन सलमह और मुहम्मद राकीब सलमह ने संयुक्त रूप अच्छी आवाज में प्रस्तुति दी। उसके बाद मौलाना जकारिया कासमी मुआलिम मिफ्ताहु उलूम बरावां ने बच्चों को कुरआन का महत्व समझाकर उनका हौसला बढ़ाया। अंतिम वक्ता मुफ्ती मसरूर मजाहिरी इमाम ओ खतीब चमन  बरावां मस्जिद ने कहा कि हाफिज और हाफिज के माता-पिता को एक ऐसा ताज पहनाया जाएगा जो सूरज से भी ज्यादा चमकीला होगा साथ ही बच्चों और उनके अभिभावकों को कुरआन के गुणों के बारे में बताकर उनका उत्साहवर्धन किया। गुलानी कलां जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती इकरार कासमी ने मजलिस के तौर-तरीकों को बयान कर वक्ताओं द्वारा लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। मौलाना तासीफ कासमी ने बहुत ही खूबसूरत तरीके से मजलिस का आयोजन और संचालन किया। इसके बाद ख्वाजगान किया गया और 11:30 बजे दोपहर में हजरत मौलाना मुहम्मद मदनी साहब दामत बरकातहुम अल-आलिया ने अपने मोबाइल फोन के जरिए मक्का मुकर्रमा से दुआ करके बैठक का समापन किया।

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