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    भूल करके भी भगवान के भक्तों का न करें अपमान: आचार्य धीरज कृष्ण शास्त्री



    श्रीमद्भागवत कथा के आठवें दिन महाराजा नृग के उद्धार की कथा का हुआ श्रवण 

    भूल करके भी भगवान के भक्तों का न करें अपमान: आचार्य धीरज कृष्ण शास्त्री

    कौङीराम गोरखपुर। बघराई में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के आठवें दिन रविवार को भगवान के अन्य विवाहों की कथा सुनाई गई। महाराजा नृग के उद्धार की कथा को श्रवण कराया।नृग ने अपने जीवन में खूब गौ दान किया था लेकिन उनके जीवन में एक छोटा  भक्तापराध हो गया जिसके कारण उन्हें गिरगिट बनना पड़ा और भगवान के स्पर्श के बाद ही उनका उद्धार हुआ व्यास जी ने कहा एक बात का जीवन में हमेशा ध्यान रखें कभी भी भूल करके भी भगवान के भक्तों का अपमान न करें क्योंकि भगवान अपने भक्तों के अपमान को बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसी क्रम में जरासंध उद्धार पांडवों के राजसूय यज्ञ की कथा को श्रवण कराया महाराज जी ने बताया यज्ञ में प्रथम पूजा की बात पर भगवान को शिशुपाल ने अनेकों गालियां दिया भगवान सुनते रहे जब गालियों की संख्या 100 के पार हो गई तब भगवान का चक्र सुदर्शन चल पड़ा और शिशुपाल का उद्धार किया एक प्रेरणा जीवन में लेनी चाहिए इस कथा से विनम्रता जरूरी है जीवन में पर जब विनम्रता को लोग कायरता समझने लगे तो अपना प्रभाव दिखाना भी जरूरी हो जाता है। भगवान ने 100 गाली तक बर्दाश्त किया और उसके बाद शिशुपाल का उद्धार किया इसी क्रम में अनेकानेक कथाओं को  श्रवण कराते हुए परीक्षित के उद्धार की कथा सुनाते हुए भागवत की महिमा बताकर कथा का विश्राम किया। कथा मे मुख्य यजमान दुर्गविजय राय सरस्वती राय, राजेश राय, अजित राय, अमित राय, सहित सभी ग्रामवासियो ने कथा का रसपान किया।

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