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    बच्चे देश के भविष्य, इन्हें बेहतर शिक्षा व संस्कार दें : मुफ्ती-ए-शहर

    बच्चे देश के भविष्य, इन्हें बेहतर शिक्षा व संस्कार दें : मुफ्ती-ए-शहर

    हर पढ़ा लिखा शख्स दस लोगों को पढ़ना लिखना सिखाए : कारी अनस 


    गोरखपुर। मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमामबाड़ा तुर्कमानपुर में मंगलवार को बेहतर शिक्षा दिए जाने के मद्देनज़र महाना दीनी महफ़िल हुई। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से आगाज हुआ। नात व मनकबत पेश की गई।

    मुख्य वक्ता मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि बच्चों को बेहतर दीनी,आधुनिक व तकनीकी शिक्षा के साथ साथ उनकी तरबियत (संस्कार) भी बेहतर तरीके से करें। आज हम अपने बच्चों को शिक्षा तो बेहतर जरूर दे रहे हैं लेकिन उनकी तरबियत सही से नहीं कर पा रहे है। बच्चों की तरबियत में उनके अभिभावक को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चे देश के भविष्य होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि उन्हें बेहतर से बेहतर शिक्षा और अच्छे ढंग से उनकी तरबियत की जाए। जिन बच्चों की बुनियादी शिक्षा बेहतर और मजबूत होगी उसे आगे चलकर कोई दिक्कत नहीं होगी।

    विशिष्ट वक्ता कारी मो. अनस रजवी ने कहा कि नशा, घमंड व लालच हर बुराई की जड़ है, मुसलमान इससे दूर रहें। नमाज कायम करें। शिक्षा हासिल करें और हर पढ़ा लिखा शख्स दस लोगों को पढ़ना लिखना सिखाए। दीन-ए-इस्लाम अल्लाह के द्वारा दिया गया संदेश है जो कुरआन-ए-पाक के रूप में आखिरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ऊपर नाजिल हुआ। पैग़ंबरे इस्लाम ने अल्लाह के हुक्म के अनुसार अमल करते हुए अपनी पूरी ज़िंदगी गुजारी। अल्लाह का आदेश और पैग़ंबरे इस्लाम की अमली ज़िंदगी मिलकर ही दीन-ए-इस्लाम को मुकम्मल करती है।

    विशिष्ट वक्ता नायब काजी मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि सभी लोग अपने बेटा और बेटी दोनों को समान रूप से दीनी व दुनियावी शिक्षा दें। इसके अलावा बच्चों को आधुनिक और तकनीकी शिक्षा भी दें। शिक्षा के बगैर इंसान अधूरा है। शिक्षा से तरक्की के सभी दरवाजे खुलते हैं। आज वही कौम और मुल्क विकसित है जहां शिक्षा है, इसीलिए सभी लोग शिक्षा को अपनी पहली प्राथमिकता में शामिल करें। 

    अंत में अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी। मुफ़्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन व कारी मो. सरफुद्दीन को पवित्र उमरा यात्रा पर के लिए जाने पर मुबारकबाद पेश की। 14 घंटे में बिना देखे कुरआन सुनाने वाले मोहम्मद मिस्बाह रज़ा की हौसला-अफजाई करते हुए पुरस्कृत किया गया। महफ़िल में हाफिज सैफ अली, हाफिज अशरफ रजा, मौलाना दानिश रज़ा अशरफी, हाफिज रहमत अली निजामी, अली अकबर, आकिब अंसारी, हाजी जलालुद्दीन कादरी, मोहम्मद निजामुद्दीन आदि ने शिरकत की।

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