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    भगवान ने दुर्योधन के छप्पन भोग को ठुकराकर विदुर जी के यहां साग का भोग लगाया:आचार्य धीरज कृष्ण शास्त्री



    भगवान ने दुर्योधन के छप्पन भोग को ठुकराकर विदुर जी के यहां साग का भोग लगाया:आचार्य धीरज कृष्ण शास्त्री

    भाव से किया गया अर्पण ही ईश्वर प्रेम से करते है स्वीकार:शास्त्री जी महाराज

    कौङीराम। विकास खण्ड बघराई में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा में आचार्य धीरज कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने विदुर जी के  चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान भाव के भूखे होते हैं।भाव से जो भी कुछ अर्पण करेंगे उसे प्रभु प्रेम से स्वीकार करते हैं। यही कारण है कि एक बार दुर्योधन ने भगवान को छप्पन भोग का भोग लगाया लेकिन उसमें प्रेम नही था। जिसके कारण भगवान ने दुर्योधन के छप्पन भोग को ठुकराकर विदुर जी के यहां साग का भोग लगाया। क्योंकि विदुर के वहां भाव था। आगे उन्होंने इन्ही विदुर और मैत्रेय मुनि के संवाद में सृष्टि के उत्पत्ति और विस्तार की भी कथा सुनाई । व्यास जी ने बताया भगवान की इस संसार के निमित्त और उपादान दोनों कारण हैं । भगवान जब एक से बहुत होने की इच्छा प्रगट करते हैं तब वो संसार बनाते हैं ।इस संसार के आदि पुरुष महाराज मनु हुए ।जिनसे सृष्टि का विस्तार हुआ इसीलिए हम सबको मनुष्य भी कहा जाता है। इस अवसर पर कथा श्रवण में मुख्य यजमान दुर्गविजय राय सरस्वती राय, जंगबहादुर राय, हरीशचंद्र राय, राजेश राय पहलवान, जुगनु राय, अमरनाथ राय, श्याम बिहारी शर्मा, राघवेन्द्र राय, रवि राय,सहित सभी ग्रामवासियो ने कथा का रसपान किया।

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