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    83 वर्षीय बूढ़े बाप ने बेटे को सजा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री के जनता दरबार में लगाई गुहार

    स्लग:83 वर्षीय बूढ़े बाप ने बेटे को सजा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री के जनता दरबार में लगाई गुहार

    बेटे ने जालसाजी से जायदाद को हड़पा,बूढ़ा पिता दर-दर भटकने को मजबूर

    गोरखपुर बांसगांव संदेश।आज सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में जनता दरबार का आयोजन किया।सैकड़ो की संख्या में फरियादी अपनी अपनी फरियाद लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले इस दौरान एक 83 वर्षीय फरियादी जो देखने और सुनने में मजबूर थे।लड़खड़ाते हुए अपनी छड़ी के सहारे मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंचे जब उन्होंने जनता दरबार में अपनी समस्या बताई तो सभी सुनके दंग रह गए।बुढ़ापे का सहारा कहा जाने वाला बेटा ही उन्हें बेसहारा कर दिया और अब वह कोर्ट कचहरी और जनता दरबार में दर दर की ठोकर खा रहे हैं।


    राजेंद्र नगर निवासी 83 वर्षीय सुखराम सिंह ने अपने बड़े बेटे राजेंद्र सिंह पर जालसाजी से अपनी जायदाद को हड़प लेने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री के जनता दरबार में अर्जी लगाई।भीषण ठंड और शीतलहर में सुबह 5:00 बजे से गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार में शामिल होने के लिए लाइन में खड़े होने वाले यह बुजुर्ग किसी और से नहीं अपनी ही औलाद से हार गए। इनका कहना है कि 2007 में इनका बड़ा बेटा राजेंद्र सिंह जालसाजी करके उनकी सारी जायदाद पहले अपने नौकर के नाम करा लिया। फिर 2015 में नौकर के से वह जायदाद राजेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी की ममता के नाम ट्रांसफर कर दिया। हालांकि सुखराम सिंह का कहना है कि उन्होंने किसी भी कागज पर दस्तखत नहीं किया। तो अब सवाल यह उठता है कि बिना दस्तखत के आखिर यह पूरी जायदाद पर नाम दूसरों का कैसे चढ़ता चला गया।सुखराम सिंह ने जन जालसाजी का विरोध किया तो बड़े बेटे ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया।इस समय बुजुर्ग अपने छोटे बेटे विजय सिंह के साथ रहते हैं अब अपनी जायदाद को वापस पाने के लिए वह कोर्ट, कचहरी,थाना, पुलिस दौड़ लगाते-लगाते थक गए तो आज उम्मीद की आखिरी किरण लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में पहुंचे।हालांकि उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से नहीं हो सकी लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात कर्मचारियों ने उनके दरख्वास्त को लेकर कार्रवाई का आश्वासन दिया।

    रिश्तो को तार-तार कर देने वाली इस घटना के बाद सभी की सहानुभूति 83 वर्षीय बुजुर्ग सुखराम सिंह के साथ थी उन्हें उम्मीद है कि उन्हें मुख्यमंत्री के जनता दरबार से इंसाफ जरूर मिलेगा और उनका हड़प्पा हुआ जायदाद उन्हें वापस मिल जाएगा गौरतलब है कि यहां लड़ाई किसी दुश्मन से नहीं खुद अपने खून से यानी अपने बेटे से है वह बेटा जिसे पाल पोस कर इन्होंने बड़ा किया और उम्मीद लगाई कि उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा लेकिन बुढ़ापे में सहारा बनना तो दूर बेटे ने इन्हें खुद बेसहारा कर दिया।

     सुखराम सिंह (बुजुर्ग पीड़ित)

     विजय सिंह (पीड़ित का बेटा)

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