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    स्थानीय कवियों की कवि सम्मेलन के साथ समाप्त हुआ गोरखपुर महोत्सव


    *स्थानीय कवियों की कवि सम्मेलन के साथ समाप्त हुआ गोरखपुर महोत्सव*
    *गोरखपुर अदब और साहित्य की धरती है-महापौर*
    *गोरखपुर महोत्सव युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक बेहतरीन मंच प्रदान करता है-डॉक्टर राकेश श्रीवास्तव*

    गोरखपुर महोत्सव के समापन के अवसर पर स्थानीय कवियों के कवि सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि महापौर गोरखपुर डॉक्टर मंगलेश श्रीवास्तव,अतिविशिष्ट अतिथि गोरखपुर ग्रामीण विधायक विपिन सिंह,विशिष्ट अतिथि डॉ राकेश श्रीवास्तव व महोत्सव महासचिव रविंद्र मिश्रा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया |
    इस अवसर पर संबोधित करते हुए महापौर गोरखपुर डॉक्टर मंगलेश श्रीवास्तव ने कहा कि गोरखपुर
    आदाब और साहित्य की धरती है |
    विशिष्ट अतिथि डॉ राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के आदेश अनुसार गोरखपुर महोत्सव युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का बेहतरीन मंच प्रदान करता है जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह काम है |कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सुभाष यादव जी ने किया I 
    कार्यक्रम का संचालन करते हुए मिन्नत गोरखपुरी ने पढ़ा,
    जो अपनी सीता की खातिर गया था | समंदर पर मेरे वजूद के अंदर वह राम है कि नहीं ||
    प्रमोद चोखानी ने पढ़ा,
    अरे तुम्हारा भला चाहते हैं ऐब बताने वाले |
    दोस्त एहबाब होते हैं आइना दिखाने वाले ||
    निशा राय ने पढ़ा,
    राम की कथा में लोक लोक में बसे हैं राम |
    राम को ना लोक से अलग कर पाएंगे।
    राजा त्रिपाठी जी ने पढ़ा,
    अब ढोल नगाड़े बजवा दो
     संदेश सबको पहुंचा दो 
    अब अपने राम को पाना है 
    राघव से मिलन हो जाना
    सत्यमवदा ने पढ़ा, 
    इतना सुहाना सा कोई मंज़र नहीं होता।
    नदियां नहीं होतीं तो समंदर नहीं होता। 
    उत्कर्ष पाठक ने पढ़ा,
    खुश हैं गुरुवर और तीनों माई,बड़ी मंगल बेला आई है||
    वर्षों से व्याकुल थी जो अंखियां,खुशी के मारे भीग गईं |
    देखो ये मगनता प्रजाजनो की
    घड़ी राम राज्य की आ गई ||
    सरिता सिंह ने पढ़ा,
    सूनी आंखें पथरायी  उनमें प्रकाश जो छाया है।
    पांचवर्षों के संघर्षों का परिणाम ये पाया है।। 
    प्रदीप मिश्रा नें पढ़ा,
    राम इस पर भी राम  राम उस पार भी  राम ही मोक्ष है मोक्ष के हार भी ||
    आशिया गोरखपुरी ने पढ़ा,
    जहर होने का काम मत कीजिए जहर बोने का काम मत कीजिए और भी | काम है हमारे लिए है मोहम्मद बताएं जहां अपनी राम-बीर में हमारे लिए ||
    साथी साथ एकता उपाध्याय ने काव्य पाठ किया |
    इस अवसर पर विवेक, हरिप्रसाद, रीता श्रीवास्तव, फजल खान, नवल किशोर नथनी, सहित तमाम गणमान्य लोग उपस्थित रहे |

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