राम के नाम पर कुछ कर गुजरने की चाह व दुसरी तरफ कत्तर्व्य बोध
कार सेवा के जुनून में बड़े ही अजीबोगरीब स्थिति का करना पड़ा था सामना
कार सेवक के रूप में अयोध्या पहुंचते ही बड़े भाई सब इंस्पेक्टर से ही हो गया था आमना-सामना
बड़े भाई ने ही की थी छोटे भाई की गिरफ्तारी
कौड़ीराम गोरखपुर। एक राम के नाम पर कुछ कर गुजरने की चाह दूसरी तरफ कर्तव्य बोध दोनो की स्थिति असामान्य थी। राम मंदिर आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल के आह्वान पर गोरखपुर जनपद वासियों ने भी बढ़चढ़कर भाग लिया था। विभिन्न जनपदों मे शिक्षा ग्रहण कर रहे युवाओं ने भी भारी संख्या में कारसेवक बनकर अलग अलग जत्था बनाकर अयोध्या के लिए निकले थे। इसमें एक जत्था ऐसा था जिसके लिए बड़ी ही विकट स्थिति बन गई थी क्योंकि उस जत्थे मे एक नौजवान ऐसा था जिसकी गिरफ्तारी स्वयं उसके बड़े भाई जो सब इंस्पेक्टर थे उन्होंने की थी और सभी लोगों को ले जाकर सुदूर बलरामपुर के जंगल मे छोड़ दिया गया था। उक्त बांते स्वयं कारसेवकों मे शामिल रहे गगहा थाना क्षेत्र के हरैया निवासी वर्तमान मे भाजपा किसान मोर्चा के जिला महामंत्री राजेश सिंह राजन ने बताई। राजन सिंह बताते हैं कि वह उस समय महारानी लाल कुंवरी महाविद्यालय बलरामपुर मे एम ए राजनीति शास्त्र से द्वितीय वर्ष मे शिक्षा ग्रहण कर रहे थे कि उस समय के गोण्डा के हिन्दूवादी नेता ब्रजभूषण शरण सिंह के आह्वान पर विद्यालय के पचासों छात्र कारसेवा के लिए निकल पड़े। श्री सिंह बताते हैं कि सभी लोग रात में नाव के सहारे सरयू नदी को पार करके अयोध्या पहुंच गये थे कि कार सेवकों द्वारा नारा लगाया जाने लगा कि बड़े पैमाने पल पुलिस फोर्स आ गई। बड़ी अजीबोगरीब स्थिति उस समय हुई थी कि पुलिस टीम का नेतृत्व कर रहे मेरे बड़े भाई से सामना हो गया। लेकिन कारसेवा के जुनून ने हमें अपने सब इंस्पेक्टर भाई के सामने खड़ा कर दिया।उन्होंने ही हम लोगों की गिरफ्तारी की और ले जाकर बलरामपुर के जंगल में रात्रि मे घर जाने की हिदायत देकर छोड़ दिया । हम लोग लगभग 24 घंटे तक जंगल में ही भटकते रहे उसके बाद हम लोग पैदल ही अपने घर वापस आ गये थे। उस समय हम लोगों के साथ अशोक चौहान, अजीत सिंह, हरि कृष्ण श्रीवास्तव, बिनु लाला, संजीव श्रीवास्तव, दिलीप कुमार, संजीव सिंह सहित लगभग 50 लोगों को पुलिस ने दोबारा न आने की हिदायत देकर जंगल मे छोड़ा था।
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