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    श्रीराम चंद्र जी के पद स्पर्श व स्नान से पवित्र स्थल हुआ भर्रोह का राम घाट



    #-भर्रोह रामघाट स्थित प्राचीन मंदिर में प्रभु श्री राम होंगे विराजमान 1962 में बने मंदिर का रामेश्वर दुबे व एडीओ एजी अनिल सिंह ने कराया कायाकल्प
     गोला गोरखपुर। बांसगांव संदेश।भारत में ऐसे कई जगह है।जिनका भगवान राम से जुड़ा हुआ है।एक ऐसी खास जगह जहा भगवान श्री राम स्नान  किए थे जो रामघाट के नाम से विख्यात है। यह रामघाट गोरखपुर दक्षिणांचल के राम जानकी मार्ग गोला विकास खंड के भर्रोह सरयू पावन तट रामघाट के नाम से जाना जाता है। बता दें कि मां सरयू के पावन तट के समीप स्थित 1962 में भगवान राम हनुमान जी का एक स्थापित मंदिर भी है।जो प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक है।रामघाट गोरखपुर जनपद से 65 किलोमीटर दूर भर्रोह गांव से मंदिर करीब 1 किलोमीटर दूर है। घाट बहुत ही रमणीक है। घाट के किनारे प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर बने हुए हैं। मानना है कि भगवान प्रभु श्री राम भर्रोह रामघाट पर स्नान कर बिसरा गांव में विश्राम किए थे।जो नदी के पूर्वी तट पर स्थित है।जिनमें  राम घाट मध्य प्रदेश उज्जैन में सबसे पुराना स्नान घाट है।भगवान श्री राम जी ने नदी में स्नान करके महादेव जी का पूजन किया था।वही स्थिति प्राचीन हनुमान और श्रीराम जानकी मंदिर कई वर्ष पहले सन 1962 में स्व बाबू विश्वनाथ सिंह के द्वारा सवा महीने का यज्ञ किया गया।उस समय के लोगों ने बाबू के पिताजी से कहा  मंदिर के मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की बात किया। परंतु किसी कारण बस बाबू विश्वनाथ सिंह के हाथों से यह शुभ कार्य नहीं हो सका और बाबू श्री सिंह ने सन 1967 में गोलकोवास हो गए और तब से आज तक लगातार  ग्राम वासियों ने अपना प्रयास नहीं छोड़ा।भर्रोह गांव के बांकेलाल यादव अपने प्रधानी कार्यकाल में सन 2015 में मंदिर द्वार का निर्माण भी कराया। इस दौरान मंदिर का निर्माण पुरी तरह से नहीं हो सका।





    जिसका कायाकल्प अंततः 10 वर्ष बाद गांव के संत स्वरूप एडीओ एजी अनिल सिंह व धौरहरा गांव के प्रधान रामेश्वर दुबे ने कर दिखाया।यह रामघाट का सबसे प्राचीन मंदिर है। जहा धौरहरा गांव के ग्राम प्रधान श्री दुबे के सराहनी सहयोग से मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा चल रहा है।जिसका जीर्णोद्धार प्रधान श्री दुबे के हाथों से और स्थापित भगवान प्रभु श्री राम माता जानकी की प्राण प्रतिष्ठा होनी है।जिसकी एक कड़ी इस मंदिर के इतिहास में एक बड़ी रोचक घटना घाटी थी।जिसमें स्व बाबू बैजनाथ सिंह जो स्व बाबू विश्वनाथ सिंह जी के बड़े भाई थे। वह यहा प्रतिदिन पवित्र भूमि पर सन्यासी वेश धारण करके स्नान करते थे।और प्रार्थना करते थे मेरे प्रभु मेरे रामघाट पर कब विराजमान होंगे I

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