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    कृष्ण सुदामा के मित्रता के प्रसंग पर भावुक हुए भक्त


    कृष्ण सुदामा के मित्रता के प्रसंग पर भावुक हुए भक्त

    घघसरा गोरखपुर । बांसगांव संदेश । नगर पंचायत घघसरा के वार्ड नं 11 परशुराम नगर इटार पाण्डेय में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ आखिरी दिन शुक्रवार को कथा व्यास उमाशंकर शास्त्री व श्याम सुंदर महराज ने विभिन्न प्रसंगों पर लोगों को कथा का रसपान कराया।उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। सुभद्रा हरण एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास पीठाधीश्वर ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। आगे उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र श्री कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। जो अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया और उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। इटार पाण्डेय गांव में चल रहे नौ दिवसीय कथा शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। कथा व्यास पीठाधीश्वर ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन तर जाता है। इस अवसर पर मुख्य यजमान राजेन्द्र पान्डेय, सूर्यमुखी देवी के अतिरिक्त राम प्रकाश पाण्डेय, गोलू पान्डेय, रंगनाथ पान्डेय, जयराम शर्मा, सर्वेश पान्डेय, शत्रुघ्न पान्डेय, श्रवण पान्डेय, अरूणेश पान्डेय सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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