Header Ads

ad728
  • Breaking News

    श्रीराम कथा हमारी आत्मा को भोजन प्रदान करती है - प्रेमभूषण महाराज



    चिउटहां बसावनपुर मे श्री राम कथामृत के पहले दिन श्रद्धालु हुए भावविभोर



    कौड़ीराम गोरखपुर। एक स्वस्थ मनुष्य ही हर प्रकार के कार्यों को करने में सक्षम हो पाता है और इसके लिए उसके शरीर को स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक होता है।  ठीक इसी प्रकार हमारी आत्मा को भी स्वस्थ रखने का एक सरल तरीका है,  सत्संग में जाना और श्रीराम कथा का आश्रय। श्रीराम कथा हमारी आत्मा को भोजन प्रदान करती है।
    उक्त बातें गोरखपुर के कौड़ीराम क्षेत्र स्थित चिउटहाँ बसावनपुर ग्राम में शनिवार से शुरू श्रीराम कथा के   प्रथम दिन पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए कही।  
    श्री रामकथा के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि अगर जीवन में हमें आत्मिक सुख की प्राप्ति करनी है तो हमें श्री राम कथा का गायन, मनन और श्रवण जरूर करना चाहिए। यह आवश्यक नहीं है कि हम घंटों बैठकर रामकथा सुनें। अगर हम मन लगाकर 20 मिनट भी कथा सुनते हैं तो यह  हमें आत्मिक सुख की प्राप्ति कराती है।
    पूज्य महाराज श्री ने कहा कि राम जी के विभिन्न विकल्पों में अलग-अलग प्रकार से अवतार हुए हैं और इसी कारण से अलग अलग तरीके से रामायण की रचना भी हुई है जिसने जैसा देखा वैसा लिखा है। इसीलिए मानस जी में लिखा गया है कि, रामायण सत कोटि अपारा। यही वजह है कि पिछले 31 वर्षों से भी अधिक समय से मैं उस राम कथा का गायन कर रहा हूं और मुझे यह नित नवीन लगती रही है। हमारे सनातन सद्ग्रन्थों ने कहा है कि किसी भी ग्रंथ को अगर पांच सौ बार विधि पूर्वक पढ़ ले तो यह कंठ में उतर आता है। और रामचरितमानस  कंठ में उतर जाने के बाद हर एक शब्द के अर्थ अपने आप प्रस्फुटित होने लगते हैं।
    पूज्य महाराज जी ने कहा कि मानस जी सरल ग्रंथ नहीं है। इनकी महिमा का बखान विभिन्न संतो ने बारंबार किया है। श्रीरामचरितमानस तुलसी दल के उस एक पत्ते के समान हैं जिनके बिना भगवान की पूजा अधूरी रह जाती है। ठीक  इसी प्रकार से कोई भी विद्वान कोई भी ग्रंथ पढ़ ले लेकिन अगर उसने मानस जी का पठन-पाठन नहीं किया तो उसकी यात्रा अधूरी रह जाती है।
     पूज्य श्री ने कहा कि ग्रंथ का तात्पर्य यह होता है कि वह साहित्य जो हमारे अंदर की ग्रंथियों को खोल दे। जब हम श्रेष्ठतम लक्ष्य के साथ ईमानदारी से प्रयास करते हैं तो ईश्वर भी हमारे कार्य को पूरा करने में सहयोगी बनते हैं। जीवन में कुछ भी पाना है तो हमें चलना तो अवश्य पड़ेगा।
    पूज्यश्री ने कहा कि पिछले कई जन्मों के पुण्य का संग्रह हमें सनातन धर्म में जन्म लेने का अवसर प्रदान करता है । इसे व्यर्थ ही नहीं गंवाना चाहिए और भटकना भी नहीं चाहिए। 
    इस आयोजन में महाराज श्री ने कई सुमधुर भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।  कथा के मुख्य यजमान कृपाशंकर त्रिपाठी, दैनिक यजमान समाजसेवी व पूर्व प्रधान अजय कुमार सिंह व भाजपा किसान मोर्चा के जिला महामंत्री राजेश सिंह राजन ने सपरिवार व्यासपीठ का पूजन किया और भगवान की आरती की।

    कोई टिप्पणी नहीं

    thanks for comment...

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728
    ad728