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    छठां रोज़ा : रोज़ेदारों ने पूरी दुनिया के लिए मांगी अमनो शांति की दुआ

    छठां रोज़ा : रोज़ेदारों ने पूरी दुनिया के लिए मांगी अमनो शांति की दुआ 


    गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान का छठां रोज़ा अल्लाह व रसूल की याद में बीता। रोज़ेदारों ने इबादतों के जरिए अल्लाह को राज़ी करने की कोशिश की। अल्लाह की खास रहमत बंदों पर उतर रही है। रोज़ेदारों में गजब का उत्साह है। रोज़ेदारों ने पूरी दुनिया में अमनो शांति, अपने व अपने परिवार के लिए, गरीबों, यतीमों, पीड़ित लाचार, बेसहारा लोगों के लिए दुआ मांगी। रोज़ेदारों ने नमाज़ पढ़कर, कुरआन की तिलावत कर, दरूदो सलाम पेश कर, तस्बीह फेर, सदका खैरात कर नेकियां बटोरीं। इफ्तार-सहरी की रौनक बरकरार है। मस्जिद की सफें भरी नज़र आ रही हैं। तरावीह की नमाज़ जारी है। मस्जिद व घरों में रौनक है। कुरआन-ए-पाक की तिलावत कर रोज़ेदार नेकियां कमां रहे हैं। मालिके निसाब ज़कात व सदका-ए-फित्र अदा कर अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे है। मस्जिदों में रात की तरावीह नमाज के अलावा पांच वक्त की नमाज़ों में खूब भीड़ हो रही है। सर पर टोपी रखे रोज़ेदार बच्चे व नौजवान हर कहीं दिख रहे हैं। बच्चे भी खूब इबादत कर रहे हैं। बाजार भी गुलजार है। रविवार को मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया इमामबाड़ा दीवान बाजार में तरावीह नमाज़ के दौरान एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल हुआ।

    इस्लाम में ज़कात फ़र्ज़ है जल्द अदा करें : नायब काजी 

    नायब काजी मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में ज़कात फ़र्ज़ है। ज़कात पर मोहताज, गरीबों, यतीमों, बेवाओं का हक़ है जो मालिके निसाब न हों। इसे जल्द से जल्द हकदारों मुसलमानों तक पहुंचा दें ताकि वह रमज़ान व ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। अगर आप मालिके निसाब हैं, तो हक़दार को ज़कात ज़रूर दें, क्योंकि ज़कात न देने पर सख़्त अज़ाब का बयान कुरआन-ए-पाक में आया है। ज़कात हलाल और जायज़ तरीक़े से कमाए हुए माल में से दी जाए।

    रमज़ान का महीना आदर्श जीवनशैली के लिए तय : मो. आज़म 

    शिक्षक मोहम्मद आज़म ने बताया कि रमज़ान में हर आदमी अपनी रूह को पवित्र करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है। अमूमन साल में 11 महीने तक इंसान दुनियादारी के झंझावतों में फंसा रहता है लिहाजा अल्लाह ने रमज़ान का महीना आदर्श जीवनशैली के लिए तय किया है। शिक्षक नवेद आलम ने कहा कि रोज़े रखने का असल मकसद महज भूख-प्यास पर नियंत्रण रखना नहीं है बल्कि रोज़े की रूह दरअसल आत्म संयम, नियंत्रण, अल्लाह के प्रति अकीदत और सही राह पर चलने के संकल्प और उस पर मुस्तैदी से अमल में बसती है।

    नक्सीर फूट गई और खून हलक में चला गया तो रोज़ा टूट जाएगा : उलमा किराम

    उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर रविवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। 

    1. सवाल : रोज़े की हालत में गुस्ल (नहाना) करने में अगर कान में पानी चला जाए तो क्या रोज़ा टूट जाता है? (शहाबुद्दीन, छोटे काजीपुर)
    जवाब: रोज़े की हालत में अगर गुस्ल करते हुए कान में खुद ब खुद पानी चला गया तो रोज़े पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, इसलिए कि यह अख़्तियार से बाहर है। (मुफ्ती अख़्तर)

    2. सवाल : नापाकी की हालत में रोज़ा रखना कैसा है? (महबूब, बसंतपुर)
    जवाब : हालते जनाबत में रोज़ा दुरुस्त है। इससे रोज़े में कोई नक्स व खलल नहीं आएगा। अलबत्ता वह शख्स नमाज़ें जानबूझकर छोड़ने के सबब अशद गुनाहे कबीरा का मुरतकिब होगा। (मुफ्ती मेराज)

    3. सवाल : क्या दांत और मसूड़े से खून निकले तो रोज़ा टूट जाएगा? (सैयद काशिफ, घोसीपुर)
    जवाब : दांतों या मसूड़ों से खून निकलकर हलक में चला जाए तो उससे रोज़ा टूट जाएगा और कज़ा लाजिम होगी। (मुफ्ती अजहर)

    4. सवाल : रोज़े की हालत में नक्सीर फूट गई और खून हलक में चला गया तो क्या रोज़ा टूट गया? (आफताब, गोरखनाथ)
    जवाब : अगर किसी की नक्सीर फूट गई और खून हलक में चला गया तो रोज़ा टूट जाएगा और खून हलक में नहीं गया तो रोज़ा नहीं टूटेगा। (मौलाना जहांगीर)

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