धनुष टुटते ही सीता ने राम के गले में डाली वरमाला
धनुष टुटते ही सीता ने राम के गले में डाली वरमाला
पिपरौली सहजनवां । बांसगांव संदेश ।
अमित सिंह की रिपोर्ट
क्षेत्र के अमटौरा गांव स्थित नवनिर्मित श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में हो रहे श्रीराम कथा यज्ञ ज्ञान महोत्सव में संत श्री मनीष जी महाराज द्वारा सीता राम विवाह कि कथा सुनकर उपस्थित भक्त रोमांचित हो गए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा दीक्षा देने तथा राक्षसों के नरसंहार के लिए ऋषि विश्वामित्र अयोध्या के महाराजा दशरथ से उनके दोनों पुत्र राम और लक्ष्मण को लेकर वन में चले आए।इसी बीच सूचना हुई कि जनकपुरी में सीता स्वयंवर रचाया गया है ।दोनों भाई राम और लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुरी महाराजा जनक की राज दरबार में पहुंचते हैं ।सीता स्वयंवर में शर्त थी कि जो भी शिव जी के धनुष को उठा लेगा उससे जनकनंदिनी सीता का विवाह हो जाएगा। वहां उपस्थित कोई राजा ऐसा नहीं कर पा रहा था ।ऐसा देख राजा जनक को चिंता होने लगी। फिर गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पर राम ने धनुष को उठा लिया और जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाई शिव जी का धनुष टूट गया।तभी जनक नंदनी सीता ने राम के गले में वरमाला डाल दी। चारों तरफ फूलों कि वर्षा होने लगी। 28 फरवरी से शुरू इस महायज्ञ का 8 मार्च को भंडारे के साथ समापन किया जाएगा। प्रतिदिन दिन में श्रीराम कथा और रात में रामलीला का आयोजन किया गया है।इस अवसर पर रमेश गिरी,राम मनोहर सिंह, सुरेन्द्र श्रीवास्तव, प्रेम शंकर सिंह, उग्रसेन सिंह,सौरभ सिंह, श्रीराम सिंह,गिरीश लाल श्रीवास्तव, अशोक सम्राट, श्रीराम शर्मा उर्फ मोनू शर्मा, आनंद प्रकाश सिंह, रवि प्रताप सिंह,मान सिंह,शेर बहादुर सिंह,राम हरख, धीरज साहनी, संतोष साहनी, विजयपाल सिंह, महेश सिंह, आदित्य सिंह श्रीनेत, बिपीन सिंह राणा सहित सैकड़ो की संख्या में भक्त उपस्थित रहे।
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