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    सरकारी कर्मचारियों , शिक्षको ,संविदाकर्मियों एवं युवाओं की अनदेखी बीजेपी को पड़ी भारी


    सरकारी कर्मचारियों , शिक्षको ,संविदाकर्मियों एवं युवाओं की अनदेखी बीजेपी को पड़ी भारी

    गोरखपुर

    उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में सरकारी कर्मचारी भाजपा की कर्मचारी विरोधी नीति से परेशान और प्रताड़ित है। कर्मचारी समस्याओं की लगातार अनदेखी, उनकी जायज मांगों को भी न सुनना और पुरानी पेंशन जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भाजपा शीर्ष  नेतृत्व के लगातार उपेक्षा ने सरकारी कर्मचारियों को रोष और गुस्से से भर दिया था। जिसकी झलक प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के चुनाव में भी दिखाई दी। सरकारी कर्मचारियों द्वारा एनपीएस रूपी शोषणकारी व्यवस्था और नाम मात्र की पेंशन की शिकायत लगातार की गई, परंतु पूंजीपतियों के दबाव में सरकार  मध्यवर्गीय सरकारी कर्मचारियों की लगातार उपेक्षा करती रही। जिसका परिणाम यह हुआ कि नौकरी में आए नए और पुराने साथी सभी लोगों ने परिवार एवं युवा बेरोज़गार सहित भाजपा के विरुद्ध पुरानी पेंशन के पक्ष में वोट किया, यह तबका लगातार समाज और सोशल मीडिया में भी बीजेपी की कर्मचारी विरोधी नीतियों के प्रति मुखर रहा और बीजेपी उनकी समस्याओं को हल करने की बजाय इन्हें डंडे के जोर पर दबाने में लगी रही। लिहाजा कर्मचारियों के आक्रोश का परिणाम 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को देखना पड़ रहा है।
    विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश के अधिकतम जिला अध्यक्षों एवं पदाधिकारीयों का कहना है कि रोजगार और पेंशन को बचाने की लड़ाई जनता के साथ-साथ शिक्षकों -कर्मचारियों और उनके परिवार ने बखूबी लड़ी जिसका परिणाम सामने है अब सरकार को यह एहसास हो जाना चाहिए कि कर्मचारियों/शिक्षकों एवं युवाओं की मांगो की अनदेखी करना प्रत्येक राजनीतिक दल को भारी पड़ेगा ।‌कर्मचारी शिक्षक और उनके परिवारों का भी वोट है ,अब यह बात सभी राजनीतिक पार्टियों को  समझना होगा  उम्मीद है कि आने वाले समय में सरकारें हमारी जायज मांगों को समाधान करने की दिशा में जरूर आगे बढ़ेंगी।

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