ठाकुर जी की सम्पत्ति को हड़पने का प्रयास,जालसाजो ने बनाए फर्जी दस्तावेज
ठाकुर जी की सम्पत्ति को हड़पने का प्रयास,जालसाजो ने बनाए फर्जी दस्तावेज
बांसगांव।।।। बांसगांव थाना क्षेत्र के मऊ बुजुर्ग गांव में ठाकुर जी का प्राचीन मंदिर स्थित है ठाकुर जी के मंदिर की देखभाल करने के लिए बांसगांव क्षत्रिय परिवार ने चार से पांच एकड़ जमीन ठाकुर जी के नाम कराकर दान कर दिया गया जिसका मंदिर के पुजारी ठाकुर जी के भोग लगाने से लेकर मंदिर की रंगाई पुताई का काम करते थे।अब मंदिर की संपत्ति पर कब्जा करने की होड़ लगी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंदिर बनने के शुरुआत में गांव के बुजुर्ग द्वारा रामबहाल दास को पुजारी नियुक्त किया, रामबहाल दास के पश्चात मंदिर पर पुजा आराधना पुजारी शिवनाथ दास द्वारा किया जाने लगा जो मुलतः अम्बेडकर नगर के निवासी थे जैसे ही मंदिर की सम्पूर्ण सम्पत्ति की बागडोर पुजारी के हाथ आयी वैसे ही पुजारी के भाई भतीजो का आना शुरू हो गया जब मंदिर की बेसकीमती जमीन परिजनों ने देखा तो कागज में मंदिर के पुजारी को ठाकुर जी के साथ फर्जी दस्तावेज के सहारे सेवादार के रूप में खतौनी में तहसील कर्मियों की मदद से मंदिर के पुजारी का नाम सेवादार के रूप में दर्ज हो गया,नाम दर्ज के पश्चात पुजारी के गांव के सगे संबंधी विकास मिश्रा द्वारा करोना काल के समय जुन 2020 में बांसगांव तहसील में अपने नाम से रजिस्ट्रर्ड वसीयत करा लिया, वसीयत के पश्चात जनवरी 2023 मे पुनः पुजारी द्वारा दूसरी वसीयत किया गया जिसमें अपनी पहली को खंडित किया गया है।
*तहसीलदार कोर्ट में चल रहा मुकदमा*
मंदिर की जमीन पर नाम चढ़वाने के लिए विकास मिश्रा द्वारा जो वसीयत पुजारी द्वारा तोड़ी गई थी उसी को आधार बनाकर कर फर्जी वसीयत के आधार पर मंदिर की संपत्ति मे अपना नाम चढ़वाने के लिए मुकदमा दाखिल किया गया है।
*क्या कहते हैं विकास*
विकास मिश्रा का कहना है कि मंदिर के पुजारी हमारे बाबा थे उनके साथ कई सालो से रहकर पुजा करता था अस्वस्थ होने के पश्चात मेरे द्वारा मंदिर की देखभाल किया जाता है।इस समय मैं बाहर अपने भाई के पास हु एक हफ्ते बाद मंदिर पर मिलुंगा।
*क्या कहते हैं तत्कालीन रजिस्ट्रार*
तत्कालीन रजिस्ट्रार विनोद गुप्ता ने बताया कि भगवान की सम्पत्ति का कोई वरासत नहीं होता है देखभाल करने के लिए ट्रस्ट पुजारी नियुक्त करता है। पुजारी अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति का वरासत कर सकता है लेकिन मंदिर की सम्पत्ति को नहीं कर सकता।
*क्या कहते हैं ग्रामीण*
ग्रामीणों का कहना है कि पुजारी शिवनाथ ही मंदिर पर रहकर पुजा करते थे उसके बाद से गांव के लोग पुजा करते हैं।।
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