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    हिन्दुस्तान को कोई भी ताकत मिटा नहीं पायेगा : आजम अली घोसी

    *हिन्दुस्तान को कोई भी ताकत मिटा नहीं पायेगा : आजम अली घोसी* 

    गोरखपुर। ऑल इण्डिया मुस्लिम घोसी एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष आजम अली घोसी ने देश के यौमे आज़ादी के मुबारक मौके पर सभी देशवासियों को मुबारकबाद देते हुए कहा कि हिन्दुस्तान को कोई भी ताकत मिटा नहीं पायेगा। आज़ादी का अर्थ वही लोग अच्छी तरह से समझ सकते हैं। जिन्होंने आज़ादी पाने के लिए अपने जान व माल की कुर्बानियां दी हैं। या तो उनकी औलादें जो आज भी ठोकरें खा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास साक्षी है कि देश की आन, बान व शान के लिए सबसे ज़्यादा कुर्बानियां देने वाले मुसलमान थे। मुसलमानों की अगुवाई में उनके पीछे दूसरे लोग चलते थे। दिल्ली की जामा मस्जिद से लाल क़िला तक आजादी के दीवानों को फांसी के फ़दों पर इस तरह लटकाया जाता था कि उनकी लाशें झूलती थीं। मुसलमानों ने सर पर कफ़न बांधकर अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ आलमे जिहाद को बुलंद किया था और लाखों की तादाद में लोग शहीद हुए। 1857 का जिहाद यानी ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ बग़ावत था, जिसे अंग्रेज़ों ने ग़दर का नाम दिया था। इस गदर में हिंदुओं और मुसलमानों ने बहादुर शाह ज़फ़र को अपना बादशाह व नेता माना था। उन्हीं की अगुवाई में आजादी की लड़ाई लड़ी गयी और बहादुर शाह ज़फ़र को रंगून में बहुत ही बेरहमी के साथ वतन से दूर मौत के घाट उतार दिया गया और वहीं उन्हें दफ़न किया गया। अली ने कहा कि अंग्रेज़ों ने जाते- जाते मुल्क के टुकड़े कर गये। उन्होंने कहा कि देश को आर्थिक ग़ुलामी की ओर ढकेला जा रहा है, अब इस ग़ुलामी से रिहाई मुश्किल है, आज संविधान को कुचला जा रहा है। हर तरफ़ अफ़रा - तफ़री का माहौल है। जिनकी ज़िम्मेदारी थी क़ानून का शासन क़ायम करने की। वही अब क़ानून का गला घोंटकर इंसाफ़ का जनाज़ा निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान को कोई मिटा नहीं पाएगा और ना ही यहां के बाशिंदों कोई बेदख़ल कर पायेगा। आजम अली घोसी ने कहा कि बाबा आदम ने इसी सर ज़मीन पर अपना पहला क़दम रखा था। उसी बरकत से इस मुल्क में बोलबाला है। उन्होंने कहा कि हुज़ूर अक्सर फ़रमाते थे कि 'मुझे हिंदुस्तान से बूए रब्बानी आती है, ' हज़रत अली फ़रमाते थे कि 'यहां की ज़मीन में ख़ुश्बू रची बसी है'। इसीलिए यहां के हरेक ख़ित्ते में औलिया कराम और बुज़ुर्गाने दीन मौजूद हैं। मुश्क व अम्बर व ऊद व इत्र की ख़ुशबू यहां की मट्टी में रची व बसी हुई है। जहां औलिया कराम होते हैं। वहां अल्लाह तआला की रहमत बरसती है।

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