बापू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस पर व्याख्यान का किया गया आयोजन
बापू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस पर व्याख्यान का किया गया आयोजन
पीपीगंज गोरखपुर। बांसगांव संदेश। बापू स्नातकोत्तर महाविद्यालय पीपीगंज,गोरखपुर में जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र,गोरखपुर चैप्टर एवं रक्षा एवं स्त्राताजिक अध्ययन विभाग के तत्वावधान में विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो मंजु मिश्रा ने कहा कि 14 अगस्त 1947 यह वह तारीख है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। एक तरफ देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति मिल रही थी तो दूसरी तरफ इसकी कीमत देश के विभाजन के रूप में मिल रही थी। विभाजन के परिणामस्वरूप लाखों लोग बेघर हो गए। उन्हें रातों-रात पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। कई लोग तो ऐसे भी रहे, जिन्हें आजादी की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। डॉ संजीत कुमार सिंह ने कहा किदेश के विभाजन के दौरान सबसे अधिक पीड़ा महिलाओं को उठानी पड़ी। उनका अपहरण कर लिया और उनके साथ दुष्कर्म किया गया। कुछ महिलाओं को अपना धर्म बदलने और शायद अपने परिवार का वध करने वाले लोगों से शादी करने के लिए मजबूर किया गया। सबसे दर्दनाक बात तो यह है कि परिवार के सदस्य ही अपने सम्मान के लिए उनको जान से मार डालते थे। डॉ देव नारायण पाण्डेय ने कहा कि इसका उद्देश्य भारतीयों को सामाजिक विभाजन, वैमनस्य को दूर करने तथा एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तिकरण की भावना को और मजबूत करने की आवश्यकता को याद दिलाना है। डॉ भानु प्रताप गुप्ता ने कहा किदेश का बंटवारा हुआ लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से नहीं. इस ऐतिहासिक तारीख ने कई खूनी मंजर देखे. भारत का विभाजन खूनी घटनाक्रम का एक दस्तावेज बन गया जिसे हमेशा उलटना-पलटना पड़ता है. दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातों-रात अपने ही देश में लाखों लोग बेगाने और बेघर हो गए. धर्म-मजहब के आधार पर न चाहते हुए भी लाखों लोग इस पार से उस पार जाने को मजबूर हुए। इस अवसर पर मंच संचालन डॉ करुणेंद्र सिंह ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित रहे।
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