इंचार्ज प्रधानाध्यापिका पर लगे गंभीर आरोप, बीईओ पाली की कार्यवाही सुस्त
मुझे अपने समायोजन से दिक्कत नहीं, यहां पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य की चिंता है : शिवाकांत त्रिपाठी
एसएमसी को बताए बिना ही इंचार्ज प्रधानाध्यापक द्वारा निकाले जाते हैं एसएमसी खाते से पैसे
पाली गोरखपुर । बांसगांव संदेश । प्राथमिक विद्यालय बरईपार में इंचार्ज प्रधानाध्यापिका मीरा नायक पर गंभीर आरोप है जिसमें वित्तीय अनियमितता से लेकर अचानक छात्र संख्या घटाकर सहायक अध्यापक का समायोजन कराने का कुचक्र भी हैं जिससे एक शिक्षक का जाना तय माना जा रहा है, जो बच्चों के हक के लिए सदैव आवाज उठाता रहता है। इस संदर्भ में सहायक अध्यापक द्वारा प्रार्थना पत्र बीआरसी बीईओ को दिया गया लेकिंन उनके तरफ से की जा रही जांच में देरी और कार्य व्यवहार संदिग्ध लग रहा है।
विदित हो की विद्यालयों में सरप्लस शिक्षकों का समायोजन गतिमान है जिसको मद्देनजर रखते हुए साजिश के तहत जानबूझकर अचानक 30 जून को छात्रों की संख्या 59 दर्ज कराई गई जबकि ऑनलाइन 62 की संख्या दिख रहा था। ये इसलिए किया गया कि जो बच्चों के हक की आवाज बन रहे शिक्षक का समायोजन हो सके। सहायक अध्यापक शिवाकांत त्रिपाठी द्वारा बीआरसी पाली खंड शिक्षा अधिकारी राम शंकर के समक्ष विरोध किया गया। जिसकी जांच बीईओ करने विद्यालय पर आए लेकिन उनका व्यवहार व बातचीत करने का लहजा संदिग्ध लगा और बिना कुछ कार्यवाही किए लौट गए। उसके बाद इंचार्ज प्रधानाध्यापक मीरा नायक द्वारा अन्य छात्रों का भी नाम काट दिया गया और अभिलेख के साथ छेड़छाड़ किया गया। जो बच्चे उपस्थित थे उनको कुटरचित तरीके से अनुपस्थित कर दिया गया। सहायक अध्यापक ने बताया कि विगत कई वर्षों से छात्रों की आवाज समय समय से उठाते रहे हैं जिसमें कोविड-19 के समय मिल रहे खाद्यान, डीबीटी के पैसे, मध्यान भोजन की गुणवत्ता व कंपोजिट ग्रांट व अन्य मद में विद्यालय विकास में आ रहे धन को इमानदारी पूर्वक विद्यालय में उपभोग करने की बात कही जाती रही है लेकिंन इंचार्ज प्रधानाध्यापक के कानो पर जू तक नहीं रेंग रहा है और नहीं तो लड़ाई-झगड़े पर उतारू हो जा रही हैं और धमकी देते फिर रही हैं। उनका साफ-साफ कहना है कि किसी विद्यालय में कोई कुछ नहीं कर रहा है तो हम क्यूं करें ? हम कुछ नहीं करेंगे जिसको जो करना हो कर ले। इस समय पंद्रह दिन के मेडिकल अवकाश पर चली गई हैं और सारा विद्यालयी अभिलेख भी साथ ले गयी हैं जो आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं उनमें भी भारी मात्रा में छेड़छाड़ न की जा सके। उनके द्वारा छात्रों की उपस्थिति द्वेषवश एवं चरणबद्ध तरीके से कम की जा रही है जिसके फलस्वरुप यहां उपस्थित सहायक अध्यापकों का समायोजन हो जाए एवं प्रधानाध्यापक पूर्व की भांति वित्तीय मनमानी करती रहें। वर्तमान समय में यहां के अध्यापकों द्वारा लगातार वित्तीय एवं शिक्षण संबंधी अनियमिताओं का विरोध दर्ज कराया जा रहा है किंतु किसी प्रकार की सुधार संभव नहीं हो पाया है। जिसको लेकर निम्नलिखित अनियमितताओं का वास्तविक भौतिक जांच कराने की मांग अपने उच्चाधिकारियों खण्ड शिक्षा अधिकारी ब्लॉक पाली, जिलाधिकारी गोरखपुर, बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर को प्रार्थना पत्र के माध्यम से दी है ताकि विद्यालय के शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ की जा सके एवं उच्च और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण कार्य हो सके। बहुत दबाव के बाद शुक्रवार को विद्यालय में पत्र व्यवहार पंजिका और छात्र उपस्थिति पंजिका उपलब्ध ना होने का कारण बताओ नोटिस इंचार्ज प्रधानाध्यापक को भेजा गया है।
1. गुणवत्तापूर्ण एमडीएम ना बनाना एवं विगत 4 वर्षों से दूध एवं फल का वितरण न होना एवं लगातार फल का कन्वर्जन कास्ट खाते से आहरित होना एवं दूध का पैसा ग्राम प्रधान के मद से कटौती करना।
3. बिना कारण विद्यालय से अनुपस्थित रहना एवं उपस्थित होने के बाद भी पत्र व्यवहार पर दर्जकर विद्यालय समय में बाहर जाना पुनः वापस आकर यह दर्ज करना कि हम विद्यालय से गए ही नहीं थे ।
4. विभागीय आदेशों के अनुरूप कभी भी मासिक बैठक, स्टाफ बैठक, अभिभावक बैठक, SMC बैठक, मां समूह बैठक ना करना , एवं गलत रूप से डाटा एंट्री करना कि सभी बैठक समय से पूर्ण की जा रही हैं ।
5. किसी भी वर्ष TLM का पैसा विद्यालय अध्यापकों को ना देना और ना ही उसका उपयोग करना ।
6. एसएमसी अध्यक्ष से अनुमति लिए बिना एवं उनको जानकारी दिए बिना SMC ज्वाइंट खाता खोलने एवं अवैध रूप से उसमें से विगत 6 वर्षों से लगातार धन आहरित करते रहना । (SMC अध्यक्ष के अनुसार वह अब तक मात्र दो बार चेक पर साइन की है और उसके नाम से कोई खाता संचालन हो रहा है या उसमें पैसा आता है और निकासी होती है इसकी कोई जानकारी नहीं है)
7. गोपनीय एमडीएम रजिस्टर बनाना एवं गोपनीय वास्तविक प्रवेश रजिस्टर बनाना ।
8. किसी मद में वास्तविक खर्च न करना एवं गलत बिल और वाउचर लगाकर धन को आहरित करना ।
9. शिक्षण संकुल टीएलएम एवं बैठक के मद का पैसा शिक्षण संकुल को ना देना ।
10. SMC और एमडीएम खातों के स्टेटमेंट से आहरित पैसा एवं खर्च किए गए मद का सत्यापन किया जाय ।
11. कुछ विवरण निम्नलिखित है जो की भौतिक रूप से संपन्न नहीं कराया गया है अथवा जो-जो कार्य ग्राम प्रधान द्वारा कराया गया है वही-वही कार्य प्रधानाध्यापक ग्रांट के पैसों से खर्च दिखा दी हैं।
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