Gorakhpur News:खेल का मैदान हुआ अतिक्रमित, खिलाड़ी की जगह दिखते हैं खच्चर
गोला गोरखपुर।बांसगांव संदेश ।
यूपी में खेल को बढ़ावा देने के लिए व खेल संस्कृति को एक विधा के रूप में विकसित कर प्रत्येक नागरिक तक खेल को पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है। ग्रामीण अंचलों मे मिनी स्टेडियम बनाने के साथ पहले से मौजूद खेल के मैदान को विकसित करने के कार्य के लिए भारी भरकम बजट भी खर्च किया जा रहा है। प्रदेश सरकार कि इस मंशा को कोई ठेस पंहुचा रहा है तो वह इनके अधिकारी ही हैं। उपर से आने वाले आदेश केवल कागजों मे दब के रह जा रहे हैं। पैसा खर्च करने के बाद भी खेल के मैदान अभी भी उपेक्षित है। खेल के मैदानों के उपेक्षित होने से ग्रामीण स्तर पर प्रतिभाएं भी उपेक्षित होकर समाप्त हो जा रही हैं।
अतिक्रमित होता जा रहा है अतरौरा खेल का मैदान..
नगर पंचायत के विस्तारित क्षेत्र मे शामिल होने के पूर्व ग्राम अतरौला स्थित तकरीबन 2 एकड़ से अधिक मे फैला खेल मैदान आसपास के खेल-कूद का केंद्र होता था। सभी उम्र के लोग यहां अपने रूची के अनुसार खेल खेलते थे तथा बहुत से लोग यहां पर सुबह शाम टहलने के लिए आते थे। विस्तारित क्षेत्र में आने से पहले विकास खंड गोला के द्वारा तकरीबन 7 लाख खर्च कर के मैदान को तीन तरफ से बाउंड्रीवाल लगाकर घेरने का काम शुरू हुआ। घेरने के बाद मैदान में फुटबाल के लिए गोलपोस्ट, ओपेन जिम आदि बनाने की योजना थी। नगर मे शामिल होने के बाद इस खेल के मैदान में कुछ कार्य नहीं है पाया। उपेक्षा इस प्रकार हुई कि तकरीबन खेल के मैदान में गोलपोस्ट बनने की जगह यहां पड़िया बाजार बन गया। आसपास मौजूद लोग इस मैदान मे कूड़ा-करकट फेंकने लगे। मैदान के तकरीबन एक हिस्से में बालू, गिट्टी छड़, अनगिनत वाहन खड़ा कर के अतिक्रमित कर लिया गया। बचे हुए हिस्से में सुबह से ही खच्चर व गदहों को चरने के लिए छोड़ दिया जाता है। मैदान का अधिकत्तर हिस्सा अतिक्रमित हो गया है।
यहां होती है पार्टियों की रैली..
खेल के मैदान में चुनाव के समय तकरीबन सभी पार्टियों की रैलियां हो चुकी हैं। यहां एक स्थाई हैलीपैड भी बना दिया गया है। मंत्री व नेताओं का यहां आनाजाना लगा ही रहता है लेकिन फिर भी यह मैदान उपेक्षित है।
शाम को यहां लगता है शराबियों का डेरा...
मैदान मे शाम होते ही शराबियों का आना शुरू हो जाते है। आसपास के शराबियों के साथ यहां दूरदराज से आए नशेड़ी दारू लेकर गुट बनाकर यहां दारू पीना शुरू कर देते हैं। पूरे मैदान पर दारू के पैकेट व बोतल फेंके हुए दिखता है। शाम के समय यहां टहलने के लिए आने वाले बुजुर्ग अब मैदान में नहीं आना चाहते हैं।
क्या कहा पूर्व प्रधान ने...
पूर्व प्रधान तेगबहादुर चंद ने कहा कि हमारे कार्यकाल मे मैदान के तीन तरफ से बाउंड्रीवाल लगाने के लिए तकरीबन 7 लाख रूपए आये थे। हमे 6 लाख मिला था जिससे बाउंड्रीवाल लगवाया गया एक लाख रूपए आज तक नहीं मिला। विस्तारित क्षेत्र में आने के बाद से यह उपेक्षित हो गया है।
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