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    पितृ तर्पण के लिए गया की यात्रा पर रवाना हुए श्रद्धालू

    खजनी गोरखपुर।।
    सनातन धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में अपने पितरों के तर्पण और पिण्ड दान के लिए गया धाम और पिशाच मोचन वाराणसी में पहुंच कर पिण्ड दान करने की सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार क्षेत्र से दर्जनों की संख्या में श्रद्धालू गया धाम की यात्रा के लिए रवाना हुए।
    ग्रामवासियों और परिजनों के साथ गेरूए वस्त्रों में सजे धजे लोगों ने गाजे-बाजे के साथ अपने गांव तथा क्षेत्र के धार्मिक स्थलों पर भ्रमण करते हुए पित्रदेवों को धाम में आने के लिए अक्षत फेंक कर आमंत्रित किया। परिजनों और ग्रामवासियों के द्वारा सभी तीर्थयात्रियों को सम्मान पूर्वक विदा किया गया। इस दौरान चंद्रभान त्रिपाठी, जय प्रकाश शुक्ला, परशुराम त्रिपाठी, सुधा त्रिपाठी, भोला गुप्ता, सुनील गुप्ता, बृजराज, रामनरेश, बैजनाथ आदि विभिन्न गांवों के दर्जनों लोग सपत्नीक (अपनी धर्मपत्नियों के साथ) श्रद्धापूर्वक गयाधाम वाराणसी, जगन्नाथपुरी एवं तिर्थस्थलों (चार धाम) यात्रा के लिए रवाना हुए।
    वैदिक एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अाश्विन माह कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पंद्रह दिन पितृपक्ष के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों (पुर्वजों) को नियमित तर्पण करते हैं तथा उनकी विहित पुण्यतिथि पर पार्वण श्राद्ध करते हैं। माता-पिता और पारिवार के सभी दिवंगत जनों की आत्मतृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले श्राद्धकर्म की सनातन धर्म में बड़ा महत्व और मान्यता है।लोग अपने घरों में श्रद्धापूर्वक श्राद्ध कर्म करते हैं। साथ ही पितृपक्ष में गया धाम में पहुंच कर दिवंगत देवतुल्य पितृ की आत्मशांति और मोक्ष के लिए गयाधाम की प्रेतशीला और गंगातट पर पिण्ड दान और पितृ तर्पण की सदियों पुरानी परंपरा है।

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