आईटीएम में नेशनल इंजीनियर डे के अवसर पर एक कार्यक्रम का हुआ आयोजन
आईटीएम में नेशनल इंजीनियर डे के अवसर पर एक कार्यक्रम का हुआ आयोजन
सहजनवा गोरखपुर बांसगांव संदेश इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट गीडा गोरखपुर एवं द इंस्टीट्यूशंस ऑफ इंजीनियर्स लोकल चैप्टर गोरखपुर के संयुक्त तत्वाधान में संस्थान के डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में नेशनल इंजीनियर डे के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया| कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया | इस वर्ष नेशनल इंजीनियर्स डे 2024 का थीम " ड्राइविंग सस्टेनेबिलिटी विद इंजीनियरिंग सालूशन्स एंब्रेसिंग द लेटेस्ट एआई ड्राइवन टेक्नोलॉजीज पर आधारित रहा | कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भूतपूर्व मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग एवं एमएमयूटी एलुमुनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष इं जे बी रॉय रहे उन्होंने सबको संबोधित करते हुए कहा कि इंजिनियर अपने कार्यो की जिम्मेदारी लेता है एवं समाज के उत्थान के लिए कार्य भी करता है। मोक्षगुंडम विश्वेसरैया जिनका जन्मदिन हम मना रहे हैं उनके द्वारा निर्मित कृष्णा सागर बांध जो आज से 94 वर्ष पूर्व बनाया गया था आज के वर्तमान परिवेश के सभी मानकों को पूरा कर रहा है, इससे हम समझ सकते हैं कि मोक्षगुंडम विश्वेसरैया जी कितने दूरदर्शी थे। उन्होंने कहा कि विश्वसरैया जी ने कहा था, 'एक इंजीनियर का काम सिर्फ मशीनें बनाना नहीं है, बल्कि एक बेहतर समाज का निर्माण करना है।' उनके इस विचार को हम सभी को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए द इंस्टीट्यूशंस ऑफ इंजीनियर्स लोकल चैप्टर गोरखपुर के अध्यक्ष इं पी के मिश्रा ने कहा कि डॉ. मोक्षगुंडम ने 32 साल की उम्र में सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे तक पानी पहुंचाने के लिए एक प्लान बनाया। वो प्लान सभी इंजीनियरों को पसंद आया। उन्होंने बांध से पानी के बहाव को रोकने के लिए स्टील के दरवाजे बनवाए, जिसकी तारीफ ब्रिटिश अधिकारियों ने भी की। इसे ब्लॉक सिस्टम कहा जाता है, जिसका श्रेय विश्वेश्वरैया को जाता है। इस तकनीक का आज भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी काम को लेकर विश्वेश्वरैया को कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है और आज के युवाओं को इनसे प्रेरणा लेकर समाज निर्माण के लिए एआई जैसे आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर समस्याओं का समाधान करना चाहिए |कार्यक्रम का संचालन शालिनी सिंह के द्वारा किया गया| इस अवसर पर फार्मेसी के निदेशक डाक्टर पीडी पांडा, डॉ आर एल श्रीवास्तव, डॉक्टर मनोज कुमार मिश्रा, इं आरसी पांडे, इं एम डब्लू बेग,इं आशीष कुमार सिंह इं मनोज कुमार शर्मा, इं पवन कुमार, इं विनीत राय,खुशबू यादव, अमरजीत यादव, अगिनेश्वरधर दुबे, वीरेंद्र विक्रम सिंह शहीद संस्थान के सभी शिक्षक एवं छात्राएं मौजूद रहे |
सहजनवा गोरखपुर बांसगांव संदेश इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट गीडा गोरखपुर एवं द इंस्टीट्यूशंस ऑफ इंजीनियर्स लोकल चैप्टर गोरखपुर के संयुक्त तत्वाधान में संस्थान के डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में नेशनल इंजीनियर डे के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया| कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया | इस वर्ष नेशनल इंजीनियर्स डे 2024 का थीम " ड्राइविंग सस्टेनेबिलिटी विद इंजीनियरिंग सालूशन्स एंब्रेसिंग द लेटेस्ट एआई ड्राइवन टेक्नोलॉजीज पर आधारित रहा | कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भूतपूर्व मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग एवं एमएमयूटी एलुमुनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष इं जे बी रॉय रहे उन्होंने सबको संबोधित करते हुए कहा कि इंजिनियर अपने कार्यो की जिम्मेदारी लेता है एवं समाज के उत्थान के लिए कार्य भी करता है। मोक्षगुंडम विश्वेसरैया जिनका जन्मदिन हम मना रहे हैं उनके द्वारा निर्मित कृष्णा सागर बांध जो आज से 94 वर्ष पूर्व बनाया गया था आज के वर्तमान परिवेश के सभी मानकों को पूरा कर रहा है, इससे हम समझ सकते हैं कि मोक्षगुंडम विश्वेसरैया जी कितने दूरदर्शी थे। उन्होंने कहा कि विश्वसरैया जी ने कहा था, 'एक इंजीनियर का काम सिर्फ मशीनें बनाना नहीं है, बल्कि एक बेहतर समाज का निर्माण करना है।' उनके इस विचार को हम सभी को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए द इंस्टीट्यूशंस ऑफ इंजीनियर्स लोकल चैप्टर गोरखपुर के अध्यक्ष इं पी के मिश्रा ने कहा कि डॉ. मोक्षगुंडम ने 32 साल की उम्र में सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे तक पानी पहुंचाने के लिए एक प्लान बनाया। वो प्लान सभी इंजीनियरों को पसंद आया। उन्होंने बांध से पानी के बहाव को रोकने के लिए स्टील के दरवाजे बनवाए, जिसकी तारीफ ब्रिटिश अधिकारियों ने भी की। इसे ब्लॉक सिस्टम कहा जाता है, जिसका श्रेय विश्वेश्वरैया को जाता है। इस तकनीक का आज भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी काम को लेकर विश्वेश्वरैया को कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है और आज के युवाओं को इनसे प्रेरणा लेकर समाज निर्माण के लिए एआई जैसे आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर समस्याओं का समाधान करना चाहिए |कार्यक्रम का संचालन शालिनी सिंह के द्वारा किया गया| इस अवसर पर फार्मेसी के निदेशक डाक्टर पीडी पांडा, डॉ आर एल श्रीवास्तव, डॉक्टर मनोज कुमार मिश्रा, इं आरसी पांडे, इं एम डब्लू बेग,इं आशीष कुमार सिंह इं मनोज कुमार शर्मा, इं पवन कुमार, इं विनीत राय,खुशबू यादव, अमरजीत यादव, अगिनेश्वरधर दुबे, वीरेंद्र विक्रम सिंह शहीद संस्थान के सभी शिक्षक एवं छात्राएं मौजूद रहे |
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